राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में इन तीनों विभूतियों भारत रत्न सम्मान दिया गया। ये सम्मान भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख के परिवार के ग्रहण किया। इसकी घोषणा गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी को ही कर दी गई थी।
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प्रणब मुखर्जी, पूर्व राष्ट्रपति
प्रणब मुखर्जी ने करियर की शुरुआत कोलकाता के डिप्टी अकाउंटेंट जनरल कार्यालय में बतौर क्लर्क की थी। मेहनत और बुद्धिमत्ता उन्हें न सिर्फ राजनीति में लाई बल्कि उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में इतना अच्छा काम किया कि उन्हें देश का राष्ट्रपति बनाया गया। प्रणब मुखर्जी लंबे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेत़़ृत्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया था। मुखर्जी को साल 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड भी मिला था।
नानाजी देशमुख, जनसंघ के संस्थापक
नानाजी देशमुख जनसंघ के संस्थापकों में शामिल थे। इसके अलावा वह एक समाजसेवी भी थे। 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। हालांकि, उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था। अटल सरकार में उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। अटल सरकार में ही नानाजी को पद्म विभूषण से दिया गया था।
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भूपेन हजारिका, असमिया गायक
भूपेन हजारिका भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से एक बहुमुखी प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार और गायक थे। इसके अलावा वे असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे थे। वे भारत के ऐसे विलक्षण कलाकार थे जो अपने गीत खुद लिखते थे, संगीतबद्ध करते थे और गाते भी थे। हजारिका को साल 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार, 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गया। 2011 में उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।