सांसदों के वेतन में कटौती को किसने दी मंज़ूरी और क्यों? कैबिनेट की एक विशेष मीटिंग के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने देश को यह जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में सांसदों के वेतन में कटौती करने के फैसले को मंज़ूरी दे दी गई है। सभी सांसदों के वेतन में एक साल तक 30 फीसदी की कटौती की जाएगी। वेतन के साथ-साथ सांसदों के भत्तों पर भी कटौती का असर पड़ेगा। इसके अलावा क्षेत्रीय विकास के लिए सांसदों को मिलने वाले फंड को भी दो साल तक के लिए निलंबित कर दिया गया है। भारत सरकार इस कटौती से बचने वाली रक़म का इस्तेमाल कोरोना के खिलाफ जंग में करेगी।
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने वेतन कटौती का समर्थन किया देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने कोरोना के खिलाफ जंग के मद्देनज़र सांसदों के वेतन में कटौती करने को सही कदम बताया है। लेकिन साथ ही कांग्रेस ने कहा है कि अपने क्षेत्र के विकास के लिए हर सांसद को जो फंड दिया जाता रहा है, उसे काटना गलत है। कांग्रेस का कहना है कि इस फंड से सांसद अपने क्षेत्र का विकास करता है।
पत्रिका के पोल में यूज़र्स ने कहा – एक साल तक वेतन न लें सांसद पत्रिका ने पोल में सवाल पूछा कि क्या पीएम, सभी सांसद और मंत्री एक साल तक बिना वेतन काम करें? इसके जवाब में 99.9 फीसदी फ़ेसबुक यूज़र्स ने हां कहा, जबकि केवल 0.01 फीसदी लोगों ने ना में जवाब दिया। इसी तरह पत्रिका के पोल में ट्विटर पर 84.5 फीसदी यूज़र्स ने सांसदों के बिना वेतन लिए एक साल तक काम करने को सही ठहराया, जबकि 14.1 प्रतिशत लोगों ने इसका विरोध किया, वहीं 1.4 फीसदी लोगों ने पता नहीं में जवाब दिया। इंस्टाग्राम पर भी इंटरनेट यूज़र्स ने पोल का जवाब कुछ इसी तरह दिया। जहां 80% यूज़र्स ने इंस्टाग्राम पर सांसदों के एक साल तक बिना वेतन लिए काम करने का पक्ष लिया, वहीं 20 फीसदी इसके पक्ष में नजर नहीं आए।