निर्भया केस : मौत की आहट से ही पागल हो गए थे दोषी, जेल प्रशासन को दे रहे थे गालियां मालूम हो कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक चलती बस में छह लोगों ने एक लड़की के साथ दुष्कर्म (gang rape) किया था। दरिंदों ने हैवानियत की ऐसी हद पार की थी की पीड़िता का दर्द देख हर किसी की रूह कांप उठी थी। निर्भया का इलाज सफदरजंग अस्पताल में चल रहा था। बताया जाता है कि है कि पीड़िता के साथ इतना जुल्म हुआ था कि उसके शरीर की आंते तक निकल आई थीं। पीड़िता की जान बचाने के लिए तुरंत सर्जरी की गई थी। चूंकि उस दौरान वह आईसीयू में थी और उसके दूसरे अंग भी बुरी तरह से चोटिल हो गए थे। इसलिए उसे आब्सर्वेशन में रखा गया था। बताया जाता है कि उस वक्त निर्भया को काफी प्यास लगती थी तो वो इशारे से पानी मांगती थी, लेकिन इंफेक्शन (infection) ज्यादा फैल न जाए इसलिए डॉक्टर्स उसे महज कुछ चम्मच ही पानी पिलाते थे।
काफी कोशिशों के बावजूद जो निर्भया जब स्वस्थ नहीं हो पाई तो उसे बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया था। मगर वहां जिंदगी और मौत से लड़ते हुए उसकी जान चली गई। ऐसे में इतने सालों बाद गुनहगारों को मिली फांसी की सजा से डॉक्टर्स समेत परिवार के लोग खुश हैं। सोचने वाली बात यह है कि आखिरी समय जब निर्भया पानी के लिए तड़प रही थी, लेकिन डॉक्टर मजबूर थे। ऐसे ही आज निर्भया के गुनहगार भी भूखे पेट ही फांसी पर झूले। तिहाड़ जेल प्रशासन के मुताबिक फांसी देने से पहले अपराधियों को चाय-नाश्ते (Breakfast) के लिए पूछा गया था, लेकिन सभी ने इंकार कर दिया। किसी ने न तो खाना खाया और न ही पानी पिया। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि दोषियों को बुरे कर्मों का फल उन्हें इसी जनम में मिल गया।