लंबे वक्त से JEE-NEET परीक्षा की तैयारी में जुटे छात्रों के लिए सुप्रीम कोर्ट की बड़ी खुशखबरी दरअसल, बीते 28 अगस्त को नीट और जेईई मेंस आयोजित कराने को हरी झंडी देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ छह राज्यों के मंत्रियों ने समीक्षा याचिका दाखिल की। इन मंत्रियों द्वारा यह कदम उठाए जाने से पहले कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन राज्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक की थी। इस बैठक के दौरान जेईई-नीट परीक्षा को कोरोना वायरस महामारी के दौर में छात्रों के स्वास्थ्य को देखते हुए रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने पर सहमति बनी थी।
इस बात की जानकारी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बैठक वाले दिन ही दे दी गई थी। इसके बाद 28 अगस्त को महाराष्ट्र के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री उदय रविंद्र सावंत, पश्चिम बंगाल सरकार के प्रभारी मंत्री, श्रम विभाग एवं ईएसआई (एमबी) योजना और कानून एवं न्यायिक विभाग मलय घटक, झारखंड के कैबिनेट मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, राजस्थान के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के खाद्य, नागरिक आपूर्ति, संस्कृति, योजना, अर्थशास्त्र एवं सांख्यिकी मंत्री अमरजीत भगत और पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण एवं श्रम कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिंधु ने सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल की।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने 17 अगस्त के आदेश की समीक्षा के लिए दायर याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस समीक्षा याचिका पर अपने चैंबर विचार किया।
भारत में Coronavirus से होने वाली मौतों का आंकड़ा कब होगा 1,00,000 पार सुप्रीम कोर्ट में इन मंत्रियों की ओर से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता सुनील फर्नांडिज ने अदालत के एनईईटी-जेईई, छात्रों की सुरक्षा, बचाव और जीवन के अधिकार के बीते 17 अगस्त के आदेश का विरोध किया था। यह भी तर्क दिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा आयोजित करने में आने वाली आने-जाने की परेशानियों को नजरअंदाज किया है।
अदालत में इन्होंने तर्क दिया कि ‘लाइफ मस्ट गो ऑन’ की सलाह बहुत ही दार्शनिक नजर आती है। हालांकि यह जेईई-नीट के आयोजन में विभिन्न पहलुओं के वैध कानूनी तर्क और तार्किक विश्लेषण का विकल्प नहीं हो सकता।