मंत्री की अजीब मांग! घर पर टाइगर पालने की मिले इजाजत 

मंत्री ने सरकार से बाघों और शेरों को घरों मेंं पालने की इजाजत देने के लिए कानून बनाने की मांग की

भोपाल। मध्य प्रदेश की पशुपालन और कानून मंत्री कुसुम महदेले ने बाघों के संरक्षण पर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि करोड़ों रूपए खर्च करने के बावजूद बाघों की संख्या नहीं बढ़ पा रही है। उन्होंने सरकार से बाघों और शेरों को घरों मेंं पालने की इजाजत देने के लिए कानून बनाने की मांग की।

मंत्री ने वन विभाग को भेजे प्रस्ताव में थाइलैंड जैसे दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों और कुछ अफ्रीकी देशों में ऎसे कानूनी प्रावधान होने का हवाला भी दिया है। उनका कहना है कि जिन देशों में पहले से ऎसा कानून है वहां इन जानवरों की आबादी को बढ़ाने में मदद मिली है। मंत्री ने नोटशीट में कहा कि यदि ऎसी कोई संभावना तलाशी जाती है तो जरूरी कार्रवाई करते हुए दिशा निर्देश जारी किए जाएं। मंत्री की सलाह का खुलासा बाघों के संरक्षण के लिए काम करने वाले अजय दुबे की आरटीआई से हुआ है। उन्हें मंत्री के सुझाव और मुख्य प्रधान वन संरक्षक के चिटी वाली नोटशीट की कॉपी मिली है।

सुझाव पर मांगी जानकारी
मंत्री से मिले सुझावों पर प्रदेश के मुख्य प्रधान वन संरक्षक नरेन्द्र कुमार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान को चिटी लिखी है। कुमार ने पत्र में लिखा है, कृपया इस संबंध में अपने सुझाव या टिप्पणियां दें ताकि मंत्री को इसके बारे में बताया जा सके।

बाघ फार्मिग का विरोध
बाघों के लिए काम करने वाले अजय दुबे ने कहा, देश हमेशा से बाघों की फार्मिग का विरोध करता आया है। मंत्री की मांग का समर्थन कैसे कर सकते हैं। हालांकि क रोड़ों खर्च के बाद भी बाघ संरक्षण में अहम काम न होने की उनकी बात सरकार पर सवाल जरूर खड़े करती है। 
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