54 करोड़ रुपए की लागत से बना
कुछ महीने पहले दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जानकारी दी थी कि इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 54 करोड़ रुपए आई है। यहां वाईफाई की सुविधा के साथ सोलर पैनल और एलईडी लाइटें लगी है। स्काईवॉक पर प्लाजा भी है, जहां फूड एंड शॉपिंग स्टॉल लगे हैं। आम लोगों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। स्काई वॉक से उतरने व चढ़ने के लिए पारदर्शी लिफ्ट लगाई गई है। सुरक्षा को ध्यान में रख सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। इसका फ्रेम तैयार करने के लिए हाई ग्रेड स्टील से रिंग्स बनाए गए हैं। आम तौर पर फुट ओवरब्रिज की चौड़ाई ढाई से तीन मीटर होती है। आइटीओ क्षेत्र में पैदल चलने वालों का भारी दबाव देखते हुए इसकी चौड़ाई 5 मीटर रखी गई है। स्काईवॉक के तीन प्रमुख हिस्से हैं। मुख्य हिस्सा तिलक मार्ग से डब्ल्यू प्वाइंट के आसपास है। इसकी लंबाई 453 मीटर व अन्य हिस्सों की लंबाई 70 मीटर होगी। इसके अलावा हंस भवन के सामने इसकी लंबाई 58 मीटर है।
प्रतिदिन 30 हजार लोग करेंगे प्रयोग
उम्मीद है कि इस स्काईवॉक का प्रयोग प्रतिदिन 30 हजार लोग करेंगे। स्काईवॉक सीधा प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन से आईटीओ मेट्रो स्टेशन से जुड़ा है। यह इलाका दिल्ली का सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला है। इस वजह से यहां पैदल चलने वालों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके बन जाने से उन्हें इससे निजात मिलेगी। बता दें कि आइटीओ के आसपास 25 से भी ज्यादा कार्यालय हैं। इस वजह से आइटीओ चौक व डब्ल्यू प्वाइंट लालबत्ती पर जाम की स्थिति बनी रहती है। इन दोनों प्वाइंट से व्यस्त समय में प्रति घंटा हजारों वाहन गुजरते हैं। स्काईवॉक शुरू हो जाने से राहगीरों को सड़क पर नहीं आना होगा। इससे उनके साथ ही वाहन चालकों को भी राहत मिलेगी। इसके बन जाने से प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन से लोग स्काईवॉक के जरिये सीधे सिकंदरा रोड, तिलक मार्ग, बहादुर शाह जफर मार्ग, इंद्रप्रस्थ मार्ग और दीन दयाल मार्ग की ओर आ-जा सकेंगे।