दरअसल, दोमों देशों की बीच पूर्व में हुई वार्ता के बाद बनी सहमति के बावजूद चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इसके चलते भारत ने 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी मेजर जनरल लुई लिन के बीच बीते 30 जुलाई को प्रस्तावित 5वें चरण की वार्ता के लिए कतई प्रयास नहीं किया। भारत ने चीन के नापाक मंसूबों को देखते हुए इस सैन्य वार्ता को आगे अनिश्चितकाल तक के लिए टाल दिया है।
इस मामले से जुड़े सैन्य अधिकारियों की मानें तो पैंगोंग त्सो ( Chinese Army in Pangong Tso Area ) और देपसांग इलाकों में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों ( Chinese People’s Liberation Army ) के पीछे न जाने के दो प्रमुख कारण हो सकते हैं।
पहली वजह तो यह कि बीती 14 जुलाई को भारत-चीन के सैन्य कमांडर स्तर की चौथे दौर की वार्ता में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के जिस प्रस्ताव पर सहमति बनी थी, उस पर ही चीन फिलहाल दुविधा की स्थिति में नजर आ रहा है। चीन यही तय नहीं कर पा रहा है कि सैनिकों को पीछे हटाने के लिए लाए गए प्रस्ताव को लागू कर दिया जाना चाहिए या नहीं। वहीं, दूसरा वजह संभवता यह है कि पड़ोसी देश इस विवाद को सर्दियों तक खींचकर ले जाने के मूड में है।
सूत्रों की मानें तो भारतीय सेना को भी अंदेशा है कि चीन की हरकतों के चलते पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा ( Line of Actual Control )पर जारी विवाद लंबा खिंच सकता है। इसलिए भारतीय वायुसेना को सर्दियों के मौसम में भी एलएसी से लगे इलाकों में अलर्ट पर रहने को कहा गया है। जबकि भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में आक्रामक गश्त करने के लिए निर्देश दिए जा चुके हैं।