चीन ने तीन सप्ताह में कैसे पाया Coronavirus पर नियंत्रण, शंघाई में विवेक शर्मा से ख़ास बातचीत

शंघाई में जयपुर के सीए विवेक शर्मा ने बताए हालात।
वुहान में 23 जनवरी को लॉकडाउन किया गया था।
चीन में तेजी से हालात हो रहे हैं पूरी तरह सामान्य।

<p>China Coronavirus situation report </p>
पुष्पेश शर्मा/जयपुर चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी जकड़ में ले लिया है। लेकिन चीन में अब हालात तेजी से सामान्य होते जा रहे हैं। चीन ने कैसे इस महामारी पर नियंत्रण पाया, अब वहां के हालात कैसे हैं, जनजीवन पटरी पर लौटा या नहीं। इस बारे में चीन के शंघाई में कार्यरत जयपुर निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट विवेक शर्मा ने पत्रिका को बताया।
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इस वक्त चीन में कैसे हालात हैं?

यहां हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। ऑफिस खुलने लगे हैं। फैक्ट्रियों में काम चालू हो गया है। नए केस कम होने और संक्रमितों के ठीक होने के बाद लोगों में विश्वास लौट रहा है। शॉपिंग मॉल खुलने लग गए हैं, हालांकि सिनेमा हॉल अभी नहीं खुले हैं। अच्छी बात ये है कि लोग अब भी एहतियात बरत रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से वुहान में महज एक केस पॉजिटिव आया है। वुहान में शनिवार से इंटरसिटी ट्रांसपोर्ट भी शुरू कर दिया है।
क्या पूरे चीन में लॉकडाउन किया गया?

नहीं, सबसे ज्यादा प्रभावित हुबई प्रांत में ही लॉकडाउन किया गया है। बाकी अन्य प्रांतों में एहतियाती उपाय किए गए हैं। लोगों को कम से कम घरों से बाहर निकलने को कहा गया है।
लॉकडाउन ने कैसे काम किया?

लॉकडाउन के बाद वायरस का माइग्रेशन रुक गया। परिवार में यदि किसी में फैला तो दूसरा परिवार उसके संपर्क में नहीं आया। सबसे पहले वुहान को लॉकडाउन किया, जिससे यह वायरस वुहान से बाहर नहीं जा सका। 23 जनवरी को लॉकडाउन के बाद तीसरे सप्ताह से स्थिति नियंत्रण में आने लगी। पहले जहां हर दिन 500-700 या इससे भी अधिक केस पॉजिटिव आ रहे थे, वे मार्च आते-आते इकाई में आ गए।
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लॉकडाउन कैसे सफल हुआ, सरकार ने सख्ती दिखाई या नागरिकों ने अनुशासन?

सरकार ने भी सख्ती बरती, लेकिन यहां के लोगों ने भी गजब का अनुशासन दिखाया। चूंकि लोकतंत्र नहीं है, इसलिए लोग डरते भी हैं। इनको पता है यदि लॉकडाउन का उल्लंघन किया तो जेल में डाल दिए जाएंगे। लिहाजा ये डर भी काम कर गया।
चीन में दूसरे देशों के कितने लोग फंसे हैं?

मेरे पास ये आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन ‘फंसे’ हुए कहना गलत होगा। क्योंकि चीन ने साबित कर दिया कि उसका हेल्थकेयर सिस्टम बेहतरीन है और हर देश के नागरिक के लिए ये सुविधाएं समान रूप से उपलब्ध हैं। फिर हर व्यक्ति जरूरी नियमों का पालन करता है। कोई बिना मास्क बाहर नजर नहीं आएगा।
कोरोनावायरस
सार्वजनिक स्थानों पर जांच के लिए क्या व्यवस्था की?

यहां के लोग काफी जागरूक हैं। मॉल और शॉपिंग सेंटर से लेकर छोटी-छोटी दुकानों तक में जाने से पहले टेंपरेचटर चेक करने के उपकरण लगे हुए हैं।
क्वारेंटाइन को कैसे फॉलो किया गया?

अब खतरा बाहर से आने वाले लोगों से हैं, इसलिए फ्लाइट से उतरते ही उन्हें 14 दिन के लिए सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों पर क्वारेंटाइन में भेजा जाता है। खास बात ये है कि क्वारेंटाइन में रहने वालों को यहां 2 हजार से 8 हजार रुपए तक प्रतिदिन चुकाने पड़ते हैं, जो यहां नौकरी करता है।
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सोशल मीडिया की भूमिका कितनी रही?

यहां सोशल मीडिया पूरी तरह लोकल है। गूगल, ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब नहीं चला सकते। इसलिए इनका डेटा बाहर नहीं जा पाता। सोशल मीडिया पर मैसेज को स्कैन करने के लिए यहां पूरी टीम बैठी है। कोई भी आपत्तिजनक कंटेंट मिलते ही यूजर मैसेज को भी और यूजर को भी ब्लॉक कर दिया जाता है।

अमित कुमार बाजपेयी

पत्रकारिता में एक दशक से ज्यादा का अनुभव. ऑनलाइन और ऑफलाइन कारोबार, गैज़ेट वर्ल्ड, डिजिटल टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, एजुकेशन पर पैनी नज़र रखते हैं. ग्रेटर नोएडा में हुई फार्मूला वन रेसिंग को लगातार दो साल कवर किया. एक्सपो मार्ट की शुरुआत से लेकर वहां होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों-संगोष्ठियों की रिपोर्टिंग.

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