मां का बच्चों के प्रति निःस्वार्थ प्रेम जगजाहिर होता है, लेकिन पिता का बच्चों के प्रति समर्पण और प्यार अक्सर दिखाई नहीं देता है। इसलिए पिता के प्रेम के लिए उन्हे शुक्रिया कहना और आभार व्यक्त करना चाहिए। वैसे तो पिता के प्रेम के प्रति आभार जताने का कोई भी खास वक्त या समय नहीं होता है, लेकिन फिर भी पूरी दुनिया एक खास दिन पिता के निःस्वार्थ प्रेम के लिए ‘फादर्स डे’ के तौर पर उनका आभार व्यक्त करती है।
कब मनाया जाता है फादर्स डे?
फादर्स डे मनाने के लिए कोई एक तारीख निश्चित नहीं है। हर साल इसकी तारीख बदलती रहती है। लेकिन अधिकतर देशों में जून के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है। कुछ देशों में अलग-अलग तारीख को फादर्स डे मनाया जाता है। इस साल स्पेन, पुर्तगाल में 19 मार्च को फादर्स डे मनाया गया, जबकि ताइवान में 8 अगस्त, थाईलैंड में 5 दिसंबर को मनाया जाएगा। भारत में 20 जून यानी रविवार को फादर्स डे 2021 मनाया जाएगा।
क्यों फादर्स डे मनाया जाता है?
पूरी दुनिया में लोग अपने पिता के प्रेम के लिए उन्हें आभार व्यक्त करने, धन्यवाद देने, सम्मानित करने और श्रद्धांजलि देने के अवसर के रूप में फादर्स डे मनाते हैं। इस खास दिन में लोग अपने पिता को अलग-अलग तरह से खुश करने का प्रयास करते हैं। उन्हें तोहफा देते हैं या फिर महंगे रेस्टोरेंट में खाना खिलाते हैं या फिर अन्य तरीके से उनके साथ खुशियां बांटते हैं।
फादर्स डे की शुरूआत कैसे हुई?
फादर्स डे की शुरूआत 113 साल पहले हुई थी। एक अमरीकी लड़की सोनोरा स्मार्ट डोड (Sonora Smart Dodd) ने 1909 में अपने पिता के सम्मान के लिए एक विचार का प्रस्ताव रखा था। इसपर कई स्थानीय पादरियों ने अपनी सहमति जताई और फिर इसे स्वीकार कर लिया गया।
इसके बाद सोनोरा स्मार्ट डोड ने 19 जून, 1910 को स्पोकेन, वाशिंगटन में पहला फादर्स डे समारोह मनाया। सोनारा ने 1930 में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर उत्सव को बढ़ावा देने का काम शुरू किया।
सोनोरा के इस काम में व्यापारिक समूहों टाई निर्माता, तम्बाकू पाइप और पिता के लिए अन्य पारंपरिक उपहार की मदद मिली। इसके बाद से 1 मई 1972 को अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने ‘फादर्स डे’ को स्वीकार्य करते हुए उस दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया। पहला आधिकारिक ‘फादर्स डे’ समारोह 18 जून, 1972 को मनाया गया था।
क्या है फादर्स डे का महत्व?
सोनोरा स्मार्ट डोड का पालन-पोषण उनके पिता ने पांच अन्य बच्चों के साथ सिंगल पैरेंट के तौर पर किया था। ऐसे में सोनोरा का मानना था कि मदर्स डे की तरह ही पिता को भी एक आधिकारिक बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। जब एक पिता अपने बच्चों को मां की तरह पालन-पोषण करता है तो उन्हें भी समाज में सम्मान मिलना चाहिए।