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बच्ची की मौत के बाद भी प्रशासन ने नहीं सुनी आवाज, मजबूर पिता ने शव के साथ किया ऐसा कि देखते रह गए लोग

एक बच्ची की मौत के बाद जो हुआ, सुनकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे।

नई दिल्लीOct 15, 2018 / 06:52 pm

Kaushlendra Pathak

बच्ची की मौत के बाद भी प्रशासन ने नहीं सुनी आवाज, मजबूर पिता ने शव के साथ किया ऐसा कि देखते रह गए लोग

नई दिल्ली। बिहार में दिल को छू लेने वाला एक मामला सामने आया है। जमुई में गरीबी और मजबूरी से बेबस एक पिता अपनी 12 साल की बेटी की लाश को कंधे पर लेकर घर पहुंचा। लोग तमाशा देखते रहे, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। हॉस्पिटल प्रशासन से मदद की गुहार लगाता रहा मजबूर पिता, लेकिन किसी ने उसकी एक आवाज नहीं सुनी।
इस मौत का जिम्मेदार कौन?

यह घटना है कि सिमुलतला थाना इलाके के गादी टेलवा गांव की। पेजू मोहली की 12 साल की बेटी बबीता पिछले कई दिनों से बीमार थी। दो दिन पहले उसकी तबीयत अचानक ज्यादा बिगड़ गई। आनन-फानन में परिजन ने उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उसकी हालत को देखते हुए उसे झाझा रेफरल हॉस्पिटल भेज दिया गया। पेजू के मुताबिक उसकी बेटी को डॉक्टरों ने दो टैबलेट खिलाया, कोई इंजेक्शन नहीं लगा। उसने खुद डॉक्टरों को ध्यान देने के लिए कहा, पानी चढ़ाने की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनता ही नहीं था। आखिरकार, रविवार को बच्ची की मौत हो गई।
एंबुलेंस तक नहीं मिला

बच्ची की लाश जाने के लिए पेजू ने हॉस्पिटल प्रबंधन से एंबुलेंस की डिमांड की, लेकिन नहीं दी गई। गरीब पिता के पास उतने पैसे नहीं थे कि वो शव को किसी वाहन से अपने घर ले जाता। मजबूरन उसने शव को कंधे पर उठाया और पैदल ही घर लेकर पहुंचा। अब इस मौत पर राजनीति भी शुरू हो गई है। जिले के सिविल सर्जन डॉ श्याम मोहन दास ने बताया कि झाझा रेफरल अस्पताल के प्रभारी ने जानकारी दी है कि बच्ची का इलाज झाझा रेफरल अस्पताल में हुआ था, लेकिन मौत वहां नहीं हुई थी। हालांकि, इस मामले में सिविल सर्जन ने एक कमेटी से मामले की जांच कराने के लिए आदेश देने की बात कही है।
इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है। कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसने देश, समाज और इंसानियत पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया हो।

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