फार्म बिल के खिलाफ भारी असंतोष के चलते बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस सतर्क, सुरक्षा बलों की 2 कंपनियां तैनात

पंजाब और हरियाणा के किसानों के विरोध को देखते हुए दिल्ली बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
यूपी से लगते बॉर्डर पर सुरक्षा बलों की दो कंपनियां तैनात।
सिंधु और करनाल बॉर्डर पर भारी सुरक्षा इंतजाम।

<p>पंजाब और हरियाणा के किसानों के विरोध को देखते हुए दिल्ली बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।</p>
नई दिल्ली। लोकसभा और राज्यसभा से कृषि से संबंधित विधेयकों के पास होने के बाद कई राज्यों में इसका भारी विरोध शुरू हो गया है। विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर घेरने का पूरा मन बना लिया है। यही वजह है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों के समर्थन में विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यही वजह है कि विरोध—प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली की अंतर्राज्यीय सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
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दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सिंघू सीमा और जीटी-करनाल रोड समेत कई सीमावर्ती क्षेत्रों में अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। दिल्ली पुलिसकर्मियों को विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर सतर्क रहने को कहा गया है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के प्रवेश को रोकने के लिए गाजीपुर और अशोक नगर की ओर से सुरक्षा बलों की दो कंपनियां तैनात की गई हैं।
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दिल्ली पुलिस उपायुक्त ( पूर्व ) जसमीत सिंह ने इस बारे में जानकारी दी है कि हमने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर सर्तकता के लिहाज से सीमा चौकियां बनाई हैं। हमारी टीमें अलर्ट मोट पर हैं। जानकारी के मुताबिक दिल्ली पुलिस को इस बात की आशंका है कि आसपास के राज्यों के किसान कृषि विधेयकों के खिलाफ विरोध जताने के लिए दिल्ली आ सकते हैं।
आपको बता दें कि कई राज्यों के किसान कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य ( संवर्धन और सुविधा ) विधेयक, मूल्य आश्वासन पर किसान ( बंदोबस्ती और सुरक्षा ) समझौता कृषि सेवा विधेयक और आवश्यक वस्तु ( संशोधन ) विधेयक का विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि
तीनों विधेयक किसान विरोधी है। सरकार पूंजीपतियों के हाथों में किसान को गुलाम बनाना चाहती है। विपक्षी दलों ने सरकार को इस मामले में आंदोलन छेड़ने की भी चेतावनी दी है।
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दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि मंडी की व्यवस्था पहले की तरह बनी रहेगी। किसानों को जहां बेहतर कीमत मिलेगी उसे अपनी मर्जी के मुताबिक फसल वहां बेच सकेंगे। ये बात सही है कि अब निजी कंपनियां भी फसल खरीद के लिए आगे आएंगी।
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