Covid-19 Vaccine: भारत में कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण की तैयारी? अब तक का फुल अपडेट

भारत में कोरोना वायरस के केस 91 लाख के पार
कोरोना वैक्सीन पर अब अंतिम चरण में पहुंचा काम

नई दिल्ली। सर्दियां बढ़ते ही भारत में कोरोना वायरस ( coronavirus in India ) के संक्रमण में भी तेजी आई है। इसका नतीजा यह है कि देश में कोविड-19 ( COVID-19 ) के केस 91 लाख के आंकड़े को पार कर गए हैं। इसके साथ ही भारत में कोरोना ( Coronavirus Case in India ) के कारण 1 लाख 30 हजार लोग काल के गाल में समा चुके हैं। इन हालातों के बीच देशवासियों को कोविड-19 की वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि देश में फिलहाल कोरोना की कई वैक्सीन पर काम चल रहा है और उनका प्रोसेस अंतिम दौर में है। इनमें से फरवरी 2021 तक दो वैक्सीन भारतीय बाजारों में अपनी उपलब्धता बना सकती हैं।

कोवैक्सीन

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और निजी कंपनी भारत बायोटेक के संयुक्त प्रयास से भारत में कोरोना वैक्सीन COVAXIN विकसित की जा रही है। कोवैक्सीन के ट्रायल का तीसरा और अंतिम चरण शुरू हो चुका है। यह स्वदेशी कोरोना वैक्सीन अगले साल फरवरी या मार्च तक देशवासियों के लिए उपलब्ध हो सकती है। एक अनुमान के मुताबिक को वैक्सीन से जुलाई तक 20 से 25 करोड़ लोगों को सीधा फायदा पहुंचेगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यह भारत की सबसे उन्नत प्रयोगात्मक टीका है। हालांकि शुरुआत में यह वैक्सीन उन लोगों को पहले दी जाएगी, जो हाई रिस्क जोन में हैं।

कोवीशिल्ड

सीरम इंस्टिट्यूट (Serum Institute) ने जानकारी दी है कि AstraZeneca कोविड—19 से बचाव में 90 प्रतिशत असरदार साबित हुई है। आपको बता दें कि सीरम इंस्टिटयूट भारत में ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन विकसित करने पर काम कर रहा है।

ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका की ओर से बताया गया कि यूनाइटेड किंगडम और ब्राजील में जब कोरोना वैक्सीन (AZD1222) पर परीक्षण किया गया तो चौंकाने वाले परिणाम सामने आए। दरअसल, वैक्सीन की आधी खुराक में 90 प्रतिशत तक असर देखने को मिला। जबकि अगले महीने जब वैक्सीन की पूरी खुराक का परीक्षण किया गया तो यह 62 प्रतिशत तक इफेक्टिव देखने को मिली। इसके साथ ही अगले महीने के ट्रायल में वैक्सीन 70 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई।

आपको बता दें कि भारत में यह वैक्सीन महाराष्ट्र के पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। सीरम इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ मिलकर काम कर रहा है। भारत में यह वैक्सीन वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ नाम से उपलब्‍ध होगी।

दरअसल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्रा जेनेका कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट को कोविशील्ड के तौर पर जाना जाता है। एसआईआई और आईसीएमआर मिलकर भारत में 15 अलग—अलग केंद्रों में कोविशील्ड के 2/3 मेडिकल परीक्षण में जुटे हैं। बीते 31 अक्तूबर को 1600 लोगों को कोविशील्ड के परीक्षण में शामिल किया था।


मॉडर्ना

मॉडर्ना भी एक कोरोना वैक्सीन है, जो अगले साल अप्रैल तक भारतीय बाजारों में दिखाई दे सकती है। हालांकि पहले दिसंबर तक इसकी उपलब्धता का दावा किया जा रहा था। ट्रायल के दौरान मॉडर्ना 94.5 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई है। मॉडर्ना इंक के अनुसार इस वैक्सीन की कीमत प्रति डोज 25 से 37 डॉलर (1,854 से 2,744 रु के करीब) रखी जा सकती है। हालां कि यह वैक्सीन के ऑर्डर पर भी निर्भर करेगा। जिनती मात्रा में इस वैक्सीन का ऑर्डर मिलेगा, उसकी कीमत भी उसी बेस पर तय की जाएगी। कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन कोरोना वायरस को रोकने में 94.5 प्रतिशत तक असरदार साबित हुई है।

फाइजर

फाइजर इंक (Pfizer Inc.) की कोरोना वैक्सीन भी ट्रायल की फाइनल स्टेज में है। ट्रायल में सामने आया है कि फाइजर वैक्सीन कोरोना वायरस को रोकने में 95 प्रतिशत तक कामयाब है। कंपनी ने दावा किया है कि फाइजर के पास दो महीन का जरूरी सेफ्टी डाटा है। जानकारी के अनुसार फाइजर दिसंबर 2020 तक वैक्सीन मार्केट में उतार सकती है। भारत ने इस वैक्सीन के 150 करोड डोज एडवांस बुक की है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वैक्सीन डोज बुकिंग के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। यह रिपोर्ट ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार वैक्सीन खरीद की इस डील में पहले नंबर पर अमरीका, दूसरे पर ईयू और तीसरे पर भारत है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए पूरे विश्व में 150 से ज्यादा कंपनियां वैक्सीन करने में जुटी हैं।

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