PM मोदी ‘CERAWeek’ अवार्ड से सम्‍मानित, बोले- प्रकृति के साथ भारत का गहरा संबंध

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CERAWeek Conference 2021: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वार्षिक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन ‘सेरावीक कॉन्‍फ्रेंस-2021’ (CERAWeek) को संबोधित किया।
पीएम मोदी ने कहा कि प्रकृति के साथ हमेशा से भारत के लोगों का गहरा संबंध रहा है। आप चाहे किसी भी भाषा में भारतीय साहित्य को पढ़ लीजिए, इसका पता चल जाएगा।

<p>CERAWeek Conference 2021: PM Modi honored with &#8216;CERAWeek Global Energy and Environmental Leadership&#8217; award</p>

नई दिल्‍ली। पर्यावरण के प्रति हमेशा जागरूक रहने और दुनिया को प्राकृतिक ऊर्जा के स्त्रोतों से जोड़ने के लिए भारत ने वैश्विक जगत को राह दिखाया है। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वार्षिक अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सम्मेलन ‘सेरावीक कॉन्‍फ्रेंस-2021’ (CERAWeek) को संबोधित किया।

इस दौरान उन्‍हें ‘सेरावीक वैश्विक ऊर्जा एवं पर्यावरण नेतृत्व’ अवार्ड से सम्‍मानित किया गया। इस विशेष मौके पर पीएम मोदी ने दुनिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति के साथ हमेशा से भारत के लोगों का गहरा संबंध रहा है। आप चाहे किसी भी भाषा में भारतीय साहित्य को पढ़ लीजिए, इसका पता चल जाएगा।

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उन्होंने कहा कि मुझे अपने किसानों पर गर्व है, जो लगातार सिंचाई के लिए आधुनिक तरीकों और उपकरणों का उपयोग करते हैं। अब किसानों को कीटनासकों के उपयोग कम करने को लेकर जागरूक किया जा रहा है। मैं इस पुरस्कार को अपने देशवासियों को अर्पित करता हूं।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं बहुत विनम्रता के साथ ‘सेरावीक वैश्विक ऊर्जा एवं पर्यावरण नेतृत्व’ अवार्ड स्वीकार करता हूं। मैं इस पुरस्कार को अपनी महान मातृभूमि और देशवासियों को समर्पित करता हूं। मैं इस पुरस्कार को देश की उस गौरवशाली परंपरा को समर्पित करता हूं जिसने पर्यावरण की देखभाल के लिए दुनिया को रास्ता दिखाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पुरस्कार पर्यावरण नेतृत्व को मान्यता देता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब पर्यावरण की देखभाल की बात आती है तो भारत के लोग दुनिया में सबसे आगे नजर आते हैं। सदियों से ऐसा होता आया है।

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पीएम मोदी ने बताया जलवायु परिवर्तन से लड़ने का तरीका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए दो शानदार तरीके हैं। पहला ये कि इसके लिए निर्धारित किए गए नीतियों, कानूनों, नियमों और आदेशों को लागू किया जाना। यदि ऐसा होता है तो इनका अपना महत्‍व हैं। जैसे कि भारत भारत 2030 तक प्राकृतिक गैस के अपने हिस्से को 6 से 15 फीसद तक बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। इसके अलावा, ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन भी शुरू किया है।

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दूसरा तरीका ये है कि अपने व्यवहार में बदलाव लाना, जो कि इन चुनौतियों से लड़ने का यह सबसे शक्तिशाली तरीका है! उन्होंने कहा कि व्यवहार परिवर्तन की भावना भारत की पारंपरिक आदतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।

बता दें कि डॉक्टर डेनिएल येरगिन ने 1983 में ‘सेरावीक’ की स्थापना की थी। इसके बाद 2016 में ‘सेरावीक वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण लीडरशीप पुरस्कार’ की शुरुआत हुई। वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण के क्षेत्र में प्रतिबद्ध नेतृत्व के लिए यह अवार्ड दिया जाता है। हर साल मार्च में अमरीका के हृयूस्टन में ‘सेरावीक सम्‍मेलन’ का आयोजन किया जाता है।

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