AAPSU के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश लंबे समय से भारत का कार्बन सिंक एरिया है। इसके बावजूद EIA-2020 Draft के वर्तमान स्वरूप पर अमल हुआ तो बड़े पैमाने पर पारिस्थितिक असंतुलन और विनाश के अलावा यह स्थानीय समुदायों के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो सकता है।
Rajnath Singh big announcement: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, अब देश में ही बनेंगे 101 उपकरण संघ के नेताओं ने का कहना है कि यह मसौदा ईआईए पोस्ट फैक्टो को मंजूरी देने का प्रस्ताव करता है जो निश्चित रूप से उन परियोजनाओं के लिए अनुकूल होगा जो पहले से गैर कानूनी तरीके से इस क्षेत्र में चल रहे हैं। यह मसौदा पर्यावरणीय संतुलन ( Environmental balance ) को लेकर पहले से तय सुरक्षा मानकों ( Safety Norms ) को कमजोर करेगा।
AAPSU EIA-2020 का मसौदा जनजातीय अधिकारों पर अंकुश लगाता है। इसके उलट आपसू ने सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक परामर्श और जवाबदेही पर जोर दिया है। यूनियन ने इस बात का भी विरोध किया कि MoEFCC सचिव की अध्यक्षता में EIA-2020 अधिसूचना मसौदा समिति को व्यक्तिगत रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी हितधारकों से मिलना चाहिए।
Ex CAG Rajiv Mehrishi : एक बटन दबाने मात्र से पूरी दुनिया को डिफेंस ऑडिट रिपोर्ट नहीं दे सकते केंद्र सरकार की विकास परियोजनाओं की तारीफ की दूसरी तरफ केंद्र सरकार ( Central Government ) की विकासात्मक पहलों का स्वागत करते हुए AAPSU ने कहा कि विकास स्थायी होना चाहिए। इसके बाद उचित जवाबदेही होनी चाहिए। स्वदेशी हितधारकों की चिंताओं पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए और उन्हें संबोधित किया जाना चाहिए।