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पंडित भारत ज्ञान भूषण के अऩुसार शिव के मस्तक पर विराजे चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क में होने से भक्तों के लिए कल्याणकारी योग बन रहे हैं। शिव उपासक त्रिनेत्री शिव त्रिशूल के तीन भाल शिव जटा में तीन श्रृंगार सर्प, गंगा, चंद्र का ध्यान करते हुए तीन चंद्र पदार्थ जल, दूध, अक्षत अर्पित करने से हलाहल विष पाए भगवान रुद्र अमृतेश्वर के रूप से वरदान प्राप्त करने के योग बन सकेंगे तथा भगवान शिव के अभिषेक से हलाहल विष का ताप शांत हो सकेगा और इसके साथ की भगवान शिव की कृपा मिलेगी। इन शुभ योगों में करें शिव की पूजा
लाभामृत योग सुबह 07:25 से 10:46 बजे तक
अभिजित योग दोपहर 12:00 से 12:53 बजे तक
शुभ योग दोपहर 12:26 से 02:07 बजे तक
लाभ योग रात्रि 09:47 से 11:07 बजे तक
लाभामृत योग सुबह 07:25 से 10:46 बजे तक
अभिजित योग दोपहर 12:00 से 12:53 बजे तक
शुभ योग दोपहर 12:26 से 02:07 बजे तक
लाभ योग रात्रि 09:47 से 11:07 बजे तक
पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार त्रयोदशी चतुर्दशी सन्धिकाल समय सांय 6:28 से 6:32 ( सूक्ष्म समय ) में शिवरात्रि का पुण्य काल प्रारम्भ होता है। अभिषेक व पूजन का, चार प्रहर पूजा का प्रारम्भ इसी समय से है। त्रयोदशी जल दिन में तथा चतुर्दशी जल रात्रि में चढ़ेगा।
अलग-अलग मनोकामना के लिए अलग-अलग तरीके से करें महाभिषेक धन प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से करें अभिषेक पशुधन प्राप्ति के लिए दही से करें अभिषेक
रोग निवारण के लिए कुशा युक्त जल से करें अभिषेक
स्थिर लक्ष्मी के लिए घी और शहद से करें अभिषेक
पुत्र प्राप्ति के लिए शर्करा मिश्रित दूध से करें अभिषेक
संतान प्राप्ति के लिए गाय के दूध से करें अभिषेक
वंश वृद्धि एवं आरोग्य के लिए घी करें अभिषेक
बुखार दूर करने के लिए जल से करें अभिषेक
विरोधियों से मुक्ति के लिए सरसों के तेल से करें अभिषेक
तपेदिक रोग से मुक्ति के लिए शहद से करें अभिषेक
रोग निवारण के लिए कुशा युक्त जल से करें अभिषेक
स्थिर लक्ष्मी के लिए घी और शहद से करें अभिषेक
पुत्र प्राप्ति के लिए शर्करा मिश्रित दूध से करें अभिषेक
संतान प्राप्ति के लिए गाय के दूध से करें अभिषेक
वंश वृद्धि एवं आरोग्य के लिए घी करें अभिषेक
बुखार दूर करने के लिए जल से करें अभिषेक
विरोधियों से मुक्ति के लिए सरसों के तेल से करें अभिषेक
तपेदिक रोग से मुक्ति के लिए शहद से करें अभिषेक
शिवलिंग पर ऐसे अर्पित करें फूलपत्र फूल, फल और पत्ते पेडों पर जैसे उगते हैं ठीक उसी तरह से दाहिने हाथ की हथेली को सीधा करके मध्यमा अनामिका और अंगूठे की सहायता से इस प्रकार चढ़ाएं कि फूल, फल का मुख ऊपर की ओर रहे। दूर्वा व तुलसीदल को अपनी और करके तथा बेल के तीनों पत्ते बिना कटे फटे नीचे औंधा मुखी करके चढ़ाने चाहिए। यदि शिवलिंग से पुष्प, फूल, फल, पत्ते हटाने हो तो केवल तर्जनी और अंगूठे का प्रयोग करके ही उतारें।