रैपिड रेल का 5 टन वजनी निर्माणाधीन पिलर का ढांचा हाईवे पर गिरा, बड़ा हादसा टला

मेरठ से दिल्ली तक हो रहे 82 किमी लंबे रैपिड रेल के निर्माण कार्य में बड़ी सतर्कता बरती जा रही है, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं मानवीय या मशीनी गलतियों के कारण हादसा हो जाता है। ऐसे ही एक बड़ी दुर्घटना हाईवे पर होने से बची है। जब करीब 22 फीट ऊंचा पांच टन वजनी पिलर का भारी-भरकम ढांचा मेरठ-दिल्ली हाईवे पर गिर गया।

मेरठ. मेरठ-दिल्ली हाईवे पर उस समय हड़कंप मच गया, जब जोरदार आवाज के साथ करीब 5 टन सरिए का निर्माणाधीन पिलर सड़क के बीचों बीच भरभराकर गिर गया। सरिये का ये ढांचा दिल्ली से मेरठ तक रैपिड रेल कॉरिडोर निर्माण के लिए बनाए जा रहे पिलर के लिए खड़ा किया गया था। निर्माणाधीन पिलर गिरने से हालांकि किसी प्रकार की कोई जानमाल की हानि नहीं हुई, लेकिन एक बड़ा हादसा होने से बच गया है।
यह घटना मोहिउद्दीनपुर स्थित खरखौदा तिराहे के पास हुई है। जहां पर पांच टन सरिये का ढांचा सड़क पर गिर गया। सड़क पर ढांचा गिरते ही अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इससे रोडवेज बस और कई कारें बाल-बाल बच गईं। जाल गिरने के बाद एनसीआरटीसी सुरक्षाकर्मियों ने ट्रैफिक रोककर बड़ी क्रेन की मदद से ढांचे को फिर से खड़ा किया।
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कंपनी के कर्मचारी भी बाल-बाल बचे

बता दें कि पहले रैपिड रेल के पिलर खड़ा करने से पहले सरिये का ढांचा खड़ा किया जाता है। एनसीआरटीसी अधिकारियों का कहना है कि एक शटरिंग स्थापित करने के दौरान एक केज रिन्फोर्मेंट फिसलकर सड़क पर गिर गया। इसके बाद क्रेन से उठाकर बैरिकेडिंग जोन में वापस लाया गया। 22 फीट ऊंचे ढांचे को स्टील प्लेट की सहायता से खड़ा किया जा रहा था। उसी दौरान स्टील प्लेट गिर जाने से सरिये का ढांचा सड़क पर जा गिरा। इस हादसे में कार्यदायी कंपनी एलएंडटी के कर्मचारी भी बाल-बाल बचे हैं।
बंधा होने के बावजूद झुकता चला गया ढांचा

ज्ञात हो कि रैपिड रेल का निर्माण बिना यातायात को बाधित किए किया जा रहा है। रात के समय डायवर्जन के लिए लाइट रिफ्लेक्टर का उपयोग किया जा रहा है। रात के समय सड़क के एक तरफ डायवर्जन भी कर दिया जाता है। इस बारे में एनसीआरटीसी जनसंपर्क अधिकारी पुनीत वत्स का कहना है कि सरिये का फ्रेम गिरने पर साइट इंजीनियरों को मौके पर बुलाया गया। बताया गया कि एक तरफ से ढांचा बंधा हुआ था। धीरे-धीरे ये नीचे की तरफ झुकता चला गया और फिर गिर गया।
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