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दरअसल, मेरठ में गढ रोड पर एक गांव और हस्तिनापुर ब्लाक में कई गांव ऐसे हैं जहां सपेरे निवास करते हैं। सांप को पकड़ने और उनकी प्रजातियों को पहचानने में माहिर ये सपेरे पंडित द्वारा बताए गए प्रजाति के सांप को पकड़ यजमान को सौंप देते हैं। लोग जीवित सांप के साथ पूजा—पाठ और अनुष्ठान करने के बाद जीवित सांप को जंगल में छोड़ देते हैं। उधर, गढ रोड स्थित गांव के रहने वाले एक सपेरे ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके पास सावन के शुरूआती दिनों से ही सांप खरीदने के लिए फोन आने शुरू हो जाते हैं। लेकिन जो उनके पास आता है और एडवांस देकर जाता है, उसी के लिए वे सांप की व्यवस्था करते हैं। उसने बताया कि दोमुंही सांप की कीमत 5 हजार रुपये और काले सांप की कीमत 10 से 11 हजार के बीच होती है। पूजा में शामिल होने का खर्च होता है अलग सपेरे ने बताया कि सांप से हर कोई डरता है, इसलिए जीवित सांप के साथ पूजा करवाने वाला व्यक्ति यही कहता है कि उस दौरान सपेरा साथ में हो। अगर किसी के साथ जाते हैं तो उसका खर्च अलग होता है। लाने ले जाने से छोड़ने और खाने तक का खर्च सब कुछ पूजा कराने वाले पर निर्भर होता है। एक और सपेरे सोनू ने बताया कि वह सावन के दिनों में करीब 10 दिन काफी व्यस्त रहता है। इस दौरान वह सांपों को पकड़ता है, पूजा करवाए जाने के दौरान उपस्थित रहता है और फिर जंगल में छुड़वाने का काम करवाता है। पिछले 5 साल से वह इस काम को कर रहा है।
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