मऊ/प्रयागराज. बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबी कहे जाने वाले कोयला माफिया उमेश सिंह को अपनी सम्पत्ति बचाने के लिये कोर्ट में झूठ बोलना महंगा पड़ गया। पुलिस द्वारा कुर्क की गई कारोड़ों की सम्पत्ति तो मिलने से रही, ऊपर से हाईकोर्ट ने झूठ बोलने पर लाखों रुपये का जुर्माना अलग से लगा दिया है। कोर्ट ने उमेश सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद पाया कि याची ने अपनी बात साफगोई से रखने के बजाय तथ्य छिपाकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। याचिका पर जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की बेंच ने सुनवाई की।
यूपी सरकार इन दिनों ऑपरेशन नेस्त नाबूद चला रही है। इसके तहत प्रदेश के बाहुबली, माफिया और अपराधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाईयां की जा रही हैं। इसी क्रम में मऊ के कोयला माफिया कहे जाने वाले उमेश सिंह के खिलाफ भी गिरोहबंद अधिनियम में कार्रवाई की गई। 21 अक्टूबर को जिलाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए 300 टन कोयला सहित अन्य सम्पत्तियां जब्त कर लीं।
उमेश सिंह की ओर से इस कार्यवाही को यह कहते हुए चुनौती दी देते हुए झूठा फंसाए जाने का आरोप लगाया। कहना था कि उनके खिलाफ महज एक आपराधिक केस दर्ज होने पर भी गिरोहबंद अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। इसलिये आदेश रद्द किये जाएं।
सुनवावई के दौरान सरकारी वकील ने इसे गलत बताते हुए उमेश सिंह का पूरा आपराधिक इतिहास कोर्ट के सामने रख दिया। उनका कहना था कि जानबूझ याची ने झूठ बोला है। इसके बाद कोर्ट ने गलत तथ्य प्रस्तुत करने और अदालत को गुमराह करने पर उमेश सिंह पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। कोर्ट ने 30 दिन के अंदर जुर्माना न देने पर भू राजस्व के बकाया की तरह वसूलने का निर्देश दिया है।