मथुरा आने के बाद प्रेमानंद महाराज यहीं पर वो वर्षों से आना चाहते थे। इसके बाद बिहारी मंदिर गए और मंदिर उनका आना-जाना लगा रहा।
प्रेमानंद महाराज के आश्रम से बताया गया कि प्रेमानंद महाराज के गुरु का नाम संत श्रीहित गौरांगी शरण महाराज है। उन्होंने प्रेमानंद महाराज को ज्ञानमार्गी से प्रेममार्गी बनाए।
ज्ञानमार्गी प्रेमानंद महाराज का प्रेम रस में डूबना आसान नहीं था, क्योंकि ज्ञान मार्ग का व्यक्ति अपने तर्कों की आधारशिला पर ही हर चीज को फिट करना चाहता है।
प्रेमानंद महाराज वृंदावन कके राधावल्लभ मंदिर गए थे तब उनकी मुलाकात वहां के तिलकायत अधिकारी मोहित मराल गोस्वामी से हुई थी।