प्रेमानंद महाराज (Premanand maharaj) हमेश पीला वस्त्र पहनते हैं। वे राधावल्लभ संप्रदाय से ताल्लुक रखते हैं। प्रेमानंद महाराज वैष्णव संप्रदाय से आते हैं।
राधावल्लभ संप्रदाय एक वैष्णव संप्रदाय है, जो वैष्णव धर्मशास्त्री हित हरिवंश महाप्रभु के साथ शुरू हुआ था। हित हरिवंश को वंशी का अवतार माना जाता है। ये माना जाता है कि भगवान राधावल्लभ के दूत है। राधावल्लभ का अर्थ है ‘प्रभु श्री कृष्ण’। राधा वल्लभ संप्रदाय में राधा रानी की भक्ति की जाती है। प्रेमानंद महाराज भी राधावल्लभ संप्रदाय से आते हैं।
अपने राधाजू को प्रसंन्न करने के लिए इस संप्रदाय के लोग सुंदर और अच्छे पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। रोचक से टीके वाले ये लोग सभी से बहुत ही मधुरता से बात भी करते हैं।
लोगो का दावा है कि प्रेमानंद महाराज ने वृन्दावन में आने के बाद , स्वयं श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाएं अपने आंखो से देखी । रासलीला देखने का भी उन्हें सौभाग्य हासिल है। इन सब चीजों का अनुभव करने के बाद उन्होंने अपने जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन पाया।