प्रेमानंद महाराज का कहना है कि उपासक को पाप कर्म नहीं करना चाहिए। अगर मनुष्य के अंदर निडर पाप करने की क्षमता प्रबल है, तो यह आपकी बर्बादी का कारण बनेगा।
प्रेमानंद महाराज ने कहा दिनभर बैठे-बैठे गंदी बातों का चिंतन करना और माताओं बहनों को गलत तरीके से देखना आपकी दुर्गति का कारण बन सकती है।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं की दान पुण्य का काम होता है। अगर आप दान देने की बात कही और उससे मुकर गए तो आप पाप के भागीदार बनेंगे।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हमेशा समान भाव से प्यार करना चाहिए। जीवन में विषमता रखने से आप पाप के भागीदार होंगे।