मथुरा जवाहर बाग कांड: सुप्रीम कोर्ट ने शहीद एसपी की पत्नी से कहा- जाएं हाईकोर्ट

जवाहर बाग कांड (Jawaharbagh kand) को चार साल बीत गए हैं, लेकिन अभी तक शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी व मारे गए अन्य पुलिस वालों को इंसाफ नहीं मिल सका है।

<p>Jawaharbagh kand</p>
मथुरा. जवाहर बाग कांड ((Jawaharbagh Kand)) को चार साल बीत गए हैं, लेकिन अभी तक शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी (Mukul Dwivedi) व मारे गए अन्य पुलिस वालों को इंसाफ नहीं मिल सका है। जांच के लिए गठित सीबीआई (CBI) द्वारा कोई ठोस कार्रवाई न होने कारण शहीद एसपी मुकुल द्विवेदी की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट (Supereme court) का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने मथुरा जवाहर बाग कांड की सीबीआई जांच 2 महीने में पूरी करने की मांग की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से मना कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट पहले ही जांच की निगरानी कर रहा है। इसलिए वह इसमें दखल नहीं दे सकते। कोर्ट ने मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है।
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चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह कहते हुए सुनवाई से मना कर दिया कि हाईकोर्ट पहले ही इस मामले की निगरानी कर रहा है और समय-समय पर सीबीआई से रिपोर्ट भी ले रहा है। जजों ने यह भी कहा कि जांच में अगर कोई बदलाव किया जाना है, तो इसकी मांग हाई कोर्ट में ही की जानी चाहिए। याचिकाकर्ता चाहे तो नए सिरे से हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सकती हैं।
साल 2016 में मुथरा के जवाहर बाग कांड में अतिक्रमण हटाने के दौरान एसपी मुकुल द्विवेदी, फरह के दारोगा संतोष यादव सहित 30 लोगों की हत्या कर दी गई थी। मामले में चार साल बीत गए, लेकिन अभी तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई है। इस कारण याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से जवाहर बाग कांड की जांच कराने की मांग की थी।
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यह था मामला-
2 जून 2016 को जवाहर बाग में अपने समर्थकों संग कब्ज़ा कर बैठे रामवृक्ष यादव को निकालने पुलिस टीम वहां पहुंची थी। रामवृष स्वाधीन भारत सत्याग्रह के नाम से संगठन चला कर उलजुलूल मांगे रखता था। उसने 2 साल पहले ही पार्क को आम लोगों के लिए बंद कर अपना कब्जा जमा लिया था। जिसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पुलिस टीम वहां पर कार्रवाई के लिए पहुंची थी। हालांकि उन्हें यह नहीं पता था वहां पर वहां करीब 3000 लोगों के समूह ने हथियारों का भारी जखीरा भी जमा कर रखा था। इसी कारण एसपी मुकुल द्विवेदी, फरह के दारोगा संतोष यादव सहित 30 लोग मारे गए। घटना के बाद बड़ी तादाद में पहुंचे पुलिस बल को यह बताया गया कि पार्क में मौजूद झोपड़ी में आग लगा दी गई है। इसमें रामवृक्ष समेत 11 लोग जल कर मर गए है। लेकिन लगातार शक जताया जाता रहा कि रामवृक्ष अभी जिंदा है और उसे किसी अन्य रास्ते से बचाकर निकाल दिया गया था।
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