…जब शेषनाग पर विराजमान होकर निकले भगवान रंगनाथ ताकते रह गए ब्रजवासी

— चैत्र कृष्ण पक्ष में दस दिवसीय आयोजन का हुआ शुभारंभ, श्रद्धालुओं की जुटी भीड़।

<p>शेषनाग पर सवार भगवान रंगनाथ </p>
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा। उत्तर भारत के विशालतम रँगनाथ मन्दिर में दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव चल रहा है। इस ब्रह्मोत्सव के बारे में कहा जाता है कि एक बार श्री ब्रह्मा जी ने कांचीपुरम में यज्ञ किया। यज्ञ से भगवान अर्चारूप में प्रगट हुए। सर्वप्रथम ब्रह्मा जी ने उन्हें प्रतिष्टित किया और उनका स्वयं उत्सब मनाया। तभी से इस उत्सव को ब्रह्मोत्सव कहा जाता है और सभी दिव्यदेश में यह उत्सव मनाया जाता है। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए श्री रंग मन्दिर में प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण पक्ष में दस दिवसीय यह उत्सव मनाया जाता है।
शेषनाग पर निकाली गई सवारी
दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव के चतुर्थ दिवस श्री शेष वाहन की सवारी निकाली गई। रजत निर्मित शेष जी पर प्रभु की सवारी आनंदित करने वाली होती है। श्री हनुमान जी पर श्री प्रभु के दर्शन – सदृश श्री शेष जी के साथ श्री प्रभु की अलौकिक आभा का दर्शन भक्तजनों को सेवा भाव का संदेश देने वाला है। शेष जी पर विराजमान भगवान गोदरंगमन्नार की दिव्य झांकी मानो साक्षात क्षीर सागर में शेष नाग जी पर शयन करने वाले माता लक्ष्मी सहित श्री विष्णु भगवान के दर्शनों का आनंद प्राप्त करती है। मन्दिर की मुख्य अधिशाषी अधिकारी अनघा श्री निवासन ने बताया कि भगवान श्रीयः पति नारायण बैकुंठ लोक में एवं क्षीराब्धि में शेष जी पर विराजते हैं। शेष जी पर भगवान विराजकर दर्शन देते हैं जिसके दर्शन करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति और पितरों को सद्गति प्राप्त होती है।
By – निर्मल राजपूत
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