आधी रात को राधा और गोपियों संग रास रचाते हैं भगवान श्री कृष्ण वृन्दावन स्थित अद्भुत स्थान को निधिवन और मधुवन के नाम से जाना जाता है। यह मथुरा (Mathura) से 15 किलोमीटर दूर यमुना के निकट वृंदावन धाम में है। मान्यता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी आज भी आधी रात में रासलीला करने के लिए पहुंचते हैं। उनके आते ही निधिवन के तुलसी पेड़ों की बेल गोपियों का रूप धर लेती हैं। इसके बाद श्रीकृष्ण मुरली बजाते हैं और राधा रानी समेत सभी गोपियों के साथ नृत्य लीला में मगन हो जाते हैं। यहां रास रचाकर भगवान वहीं बने रंग महल में विश्राम करते हैं। और सुबह 5 बजे जब ‘रंग महल’ के पट खुलते हैं तो सेज अस्त-व्यस्त, लोटे का पानी खाली और पान खाया हुआ मिलता है।
यह भी पढ़ें- Krishna Janmashtami: श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा है अद्भुत संयोग, पूरी होंगी सभी मनोकामनाएं पेड़ों की बेल धरती हैं गोपियों का रूप सुबह होने श्रद्धालुओं द्वारा शाम के समय चढ़ाया गया भोग और श्रृंगार का सामान अस्त-व्यस्त मिलता है। रंग महल में बिछाया गया पलंग भी अस्त-व्यस्त मिलता है। देखने पर ऐसा लगाता है कि किसी ने रात्रि विश्राम किया है। इसी तरह गोपियां बनी तुलसी के पेड़ों की बेल भी अपने स्वरूप में लौट जाती हैं। कहते हैं कि इन पेड़ों की शाखाएं कभी ऊपर की तरफ नहीं बढ़ती, बल्कि नीचे की तरफ बढ़ती हैं।
शाम होते ही बंद हो जाते हैं पट कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की रासलीला देखना मनुष्य के लिए निषेध है। यही वजह है कि शाम की आरती के बाद पट बंद हो जाते हैं। इसके पीछे कई घटनाओं का होना है। स्थानीय लोग कहते हैं कि जिसने राधा-कृष्ण की रासलीला देखने का प्रयास किया या तो वह अंधे हो गए या वे पागल हो गए या फिर उनकी मौत हो गई। निधिवन की विशेष बात ये है कि यहां सभी पेड़-पौधे जोड़े में लगे हुए हैं। इसके साथ ही उनकी शाखाएं आपस में जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि कोई भी इन्हें यहां से हिला भी नहीं सकता है। जिसने भी इन्हें यहां से दूसरे स्थान पर ले जाने का प्रयास किया है, वह आपदा का शिकार हुआ है। बता दें कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी (krishna janmashtami) पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है।