आज कमाएंगें पुण्य लाभ गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima 2019) पर विश्व के अनेक देशों समेत अनेक प्रांतों से श्रद्धालुओं के आगमन से धार्मिक नगरी गुलजार होने लगी है। आस्था के साथ समर्पण का भाव मन में लिए मीलों लंबा सफर तय करके लोगों का आना लगातार जारी है। प्राचीन आश्रम, मठ-मंदिर हों या नये आधुनिक मठ और मंदिर हर ओर उल्लास और भक्ति का विहंगम संगम इन दिनों गोवर्धन में देखा जा रहा है। पारंपरिक गुरु स्थान पर डेरा जमाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। गुरु पूर्णिमा पर्व को लेकर गिरिराज नगरी के हर आश्रम में हजारों शिष्यों ने पहुंचकर दस्तक दे दी। मंगलवार कोपूजन-अर्चन और संतों के प्रवचन सुन, मंदिर-मंदिर दर्शन कर पुण्य लाभ कमाने वाले श्रद्धालुओं की कमी नजर नहीं आ रही।
यहां से आए हैं भक्त गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) के अवसर पर राधाकुण्ड परिक्रमा मार्ग स्थित राधा दामोदर आश्रम में अबतक हजारों श्रद्वालु गुरू पूजन को पहुंच चुके हैं। मंहत साबरिया बाबा ने बताया कि आश्रम में राजस्थान, यूपी, हरियाणा, दिल्ली, मॉरीशस आदि जगहों से भक्त का आना लगा हुआ है। मंगलवार को मन्दिर में प्रवचन सुन गुरू दक्षिणा कार्यक्रम चलेगा।
भक्ति की कामना को लेकर परिक्रमा में उमड़ा सैलाब
आस्था और श्रद्धा के समागम के बीच बने जनसैलाब ने मन की मुराद और भक्ति की कामना को लेकर प्रभु का नाम लिये लाखों श्रद्धालु बस आगे ही बढ़े चले जा रहे थे। दिन हो या रात बस चहुंओर भक्तों के सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे। श्रद्धालुओं के मन में आस्था का इस कदर जुनून सवार था कि परिक्रमा मार्ग अव्यवस्थाएं हावी होने के बाद किंचित भी परेशानी नहीं हो रही थी। सैलाब का नजारा बस वहीं से शुरू और वहीं आता हुआ दिखाई दिखाई दिया। परिक्रमा में श्रद्धालुओं के बढ़ते हुए कदम तो दिखाई नहीं दे रहे थे तेज गति से सैलाब को चलता देख जरूर लगने लगा कि भक्ति की प्रबल धारा अब तेज बहने लगी। गिरिराज जी के प्रमुख मंदिरों में मुराद को पूरी करने के दूध-भोग चढ़ाने और पूजा करने वालों की संख्या भी बढ़ती गई। मंदिरों में पूजा करने के लिए खचाखच भीड़ रही। भीड़ का सैलाब गिरिराज दानघाटी मंदिर, परिक्रमा मार्ग में आन्यौर, पूंछरी, जतीपुरा, राधाकुंड के अलावा रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और पार्किंग स्थलों पर दिखाई दिया। परिक्रमा मार्ग में अलग-अलग नजार भी कम नहीं थे। धार्मिक कार्यक्रम हो या सेवा शिविर और भजनों पर थिरकते श्रद्धालु सभी मेला की शोभा बढ़ा रहे थे। मुड़िया मेला में चहुंओर भक्ति का वातावरण दिखाई दिया।
आस्था और श्रद्धा के समागम के बीच बने जनसैलाब ने मन की मुराद और भक्ति की कामना को लेकर प्रभु का नाम लिये लाखों श्रद्धालु बस आगे ही बढ़े चले जा रहे थे। दिन हो या रात बस चहुंओर भक्तों के सिर ही सिर दिखाई दे रहे थे। श्रद्धालुओं के मन में आस्था का इस कदर जुनून सवार था कि परिक्रमा मार्ग अव्यवस्थाएं हावी होने के बाद किंचित भी परेशानी नहीं हो रही थी। सैलाब का नजारा बस वहीं से शुरू और वहीं आता हुआ दिखाई दिखाई दिया। परिक्रमा में श्रद्धालुओं के बढ़ते हुए कदम तो दिखाई नहीं दे रहे थे तेज गति से सैलाब को चलता देख जरूर लगने लगा कि भक्ति की प्रबल धारा अब तेज बहने लगी। गिरिराज जी के प्रमुख मंदिरों में मुराद को पूरी करने के दूध-भोग चढ़ाने और पूजा करने वालों की संख्या भी बढ़ती गई। मंदिरों में पूजा करने के लिए खचाखच भीड़ रही। भीड़ का सैलाब गिरिराज दानघाटी मंदिर, परिक्रमा मार्ग में आन्यौर, पूंछरी, जतीपुरा, राधाकुंड के अलावा रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और पार्किंग स्थलों पर दिखाई दिया। परिक्रमा मार्ग में अलग-अलग नजार भी कम नहीं थे। धार्मिक कार्यक्रम हो या सेवा शिविर और भजनों पर थिरकते श्रद्धालु सभी मेला की शोभा बढ़ा रहे थे। मुड़िया मेला में चहुंओर भक्ति का वातावरण दिखाई दिया।
सिर मुड़ाया, आज निकलेंगी दो मुड़िया शोभायात्रा
मुड़िया पूर्णिमा मेला में गुरु-शिष्य परंपरा में सोमवार को मुड़िया संतों ने सिर का मंडल किया। मंगलवार को मुड़िया शोभायात्रा के समापन पर दो शोभायात्रा निकाली जाएंगी। मुड़िया पूर्णिमा के उपलक्ष्य में पूज्यपाद सनातन गोस्वामी की याद में मंगलवार की सुबह 9 बजे चकलेश्वर के राधा-श्याम सुंदर मंदिर से महंत राम कृष्ण दास महाराज के निर्देशन में शोभायात्रा निकाली जाएगी। जबकि सांय 5 बजे से चकलेश्वर चैतन्य महाप्रभु मंदिर से महंत गोपाल दास के निर्देशन में शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शोभायात्रा से पूर्व ही सनातन गोस्वामी के अनुयायियों ने सिर का मुंडन किया। मुड़िया शोभायात्रा के साथ मुड़िया पूर्णिमा महोत्सव का समापन होगा। महंत राम कृष्ण दास ने बताया कि शोभायात्रा में देश-विदेश के भक्त शामिल होते हैं। इस अवसर पर राधाकृष्ण दास, श्याम सुंदर दास, नर हरि दास, पल्लवी दास, वैष्णवपद दास, नारायण दास, सनातन दास, अच्युत दास आदि थे।
मुड़िया पूर्णिमा मेला में गुरु-शिष्य परंपरा में सोमवार को मुड़िया संतों ने सिर का मंडल किया। मंगलवार को मुड़िया शोभायात्रा के समापन पर दो शोभायात्रा निकाली जाएंगी। मुड़िया पूर्णिमा के उपलक्ष्य में पूज्यपाद सनातन गोस्वामी की याद में मंगलवार की सुबह 9 बजे चकलेश्वर के राधा-श्याम सुंदर मंदिर से महंत राम कृष्ण दास महाराज के निर्देशन में शोभायात्रा निकाली जाएगी। जबकि सांय 5 बजे से चकलेश्वर चैतन्य महाप्रभु मंदिर से महंत गोपाल दास के निर्देशन में शोभायात्रा निकाली जाएगी। शोभायात्रा को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शोभायात्रा से पूर्व ही सनातन गोस्वामी के अनुयायियों ने सिर का मुंडन किया। मुड़िया शोभायात्रा के साथ मुड़िया पूर्णिमा महोत्सव का समापन होगा। महंत राम कृष्ण दास ने बताया कि शोभायात्रा में देश-विदेश के भक्त शामिल होते हैं। इस अवसर पर राधाकृष्ण दास, श्याम सुंदर दास, नर हरि दास, पल्लवी दास, वैष्णवपद दास, नारायण दास, सनातन दास, अच्युत दास आदि थे।
राधेश्याम सेवा सदन में बही भक्ति की धारा
मुड़िया पूर्णिमा के उपलक्ष्य में राधे-श्याम सेवा सदन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भक्ति की धारा प्रवाहित हो रही है। महोत्सव में व्यास गोपाल कृष्ण ने भक्तों को श्रीरास पंचाध्यायी, उद्धव गोपी संवाद, रूक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। इससे पहले भक्तों ने नंदोत्सव में श्रीकृष्ण के जन्म की लीलाओं का आनंद लिया। उन्होंने कहा कि ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण ने बालपन की लीलाएं की हैं। ब्रजवासियों की रक्षा के लिए सात वर्ष के कृष्ण ने सात कोस लंबे गोवर्धन पर्वत को सात दिन-सात रात तक अपनी कन्नी उंगली पर धारण किया था। श्रीकृष्ण की लीलाओं के साक्षी प्रभु स्वरूप गिरिराज महाराज विराजमान हैं। इस अवसर बलराम रूंगठा ने सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया। कृष्ण-रूक्मिणी विवाह की झांकी सजाई गई।
मुड़िया पूर्णिमा के उपलक्ष्य में राधे-श्याम सेवा सदन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भक्ति की धारा प्रवाहित हो रही है। महोत्सव में व्यास गोपाल कृष्ण ने भक्तों को श्रीरास पंचाध्यायी, उद्धव गोपी संवाद, रूक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। इससे पहले भक्तों ने नंदोत्सव में श्रीकृष्ण के जन्म की लीलाओं का आनंद लिया। उन्होंने कहा कि ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण ने बालपन की लीलाएं की हैं। ब्रजवासियों की रक्षा के लिए सात वर्ष के कृष्ण ने सात कोस लंबे गोवर्धन पर्वत को सात दिन-सात रात तक अपनी कन्नी उंगली पर धारण किया था। श्रीकृष्ण की लीलाओं के साक्षी प्रभु स्वरूप गिरिराज महाराज विराजमान हैं। इस अवसर बलराम रूंगठा ने सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया। कृष्ण-रूक्मिणी विवाह की झांकी सजाई गई।