सीतामाता में यज्ञ और हवन

महायज्ञ का हुआ समापन

<p>pratapgarh </p>


प्रतापगढ़. श्री ब्रह्म ज्योति संस्थान व कमलाकुड़ी भक्त मंडल की ओर से सीतामाता मंदिर परिसर में आयोजित गुप्त नवरात्र महोत्सव के तहत शतचंडी महायज्ञ की पूर्णाहुति बुधवार को हुई। श्री ब्रह्म ज्योति वैदिक गुरुकुल के बटुकों द्वारा दैव्याथर्वशिर्षम् के 108 पाठ, दुर्गासप्तशती पाठ किया गया। दोपहर को शिवसहस्त्र नामावली, दुर्गा सहस्त्र नामावली हुई। महायज्ञ समिति के सदस्य व मुख्य यजमान महेंद्र पाल सिंह एवं ग्यासपुर, हरिचन्द्र, कान्हा राणा, रामलाल, बगदीलाल, शान्तिलाल, रक्याभाई, रकमा, रामचन्द्र, कान्हा, कमलाकुड़ी, सुरजमल, नारायणलाल, धन्ना, आम्बाखोरी द्वारा किया गया। श्री ब्रह्म ज्योति वैदिक गुरुकुल के आचार्य दिनेश द्विवेदी ने बताया कि इस मौके पर प्रसादी का आयोजन किया गया। जिसमें कई गांवों से लोगों ने भाग लिया।
देवनारायण जन्मोत्सव मनाया
बारावरदा. यहां गांव में देवनारायण जन्म उत्सव मनाया गया। जिसमें भक्तों ने गांव में शोभायात्रा निकाली। बारावरदा गौशाला छोटी डोरी से होते हुए निकाली। श्रद्धालु भजनों पर नाचते गाते चल रहे थे। शोभायात्रा के पहले संगीतमय नानीबाई का मायरा का समापन हुआ। यहां कथा का वाचन हेमाद्रिदेवी ने किया। इसके बाद लोगों ने पूजा अर्चना कर हवन किया। इसके साथ ही खीर प्रसादी वितरण की गई। पानमोड़ी. निकटवर्ती गादोला, केशरपुरा, छायण गांव में देवनारायण जयंती पर शोभायात्रा निकाली गई। गादोला गांव में गायरी समाज की तरफ से तथा छायण गांव में गुर्जर समाज की ओर से आयोजन किया गया।केशरपुरा गांव में कथा का आयोजन किया। गांव के बाबुलाल कुशलसिंह ने बताया कि इस मौके पर कई गांवों से ग्रामीणों ने भाग लिया।
भागवत कथा आज से
वनपुरा. वनपुरा गांव में सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा का आयोजन रखा गुरुवार से होगा। श्री राम जानकी मंदिर की पांचवी वर्षगांठ व श्री देवनारायण मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में भागवत कथा का आयोजन रखा गया है। संत नित्यानंद के सान्निध्य में माधव शास्त्री कथा का वाचन करेंंगे। इसका समय प्रतिदिन प्रात: 11 बजे से 3 बजे तक रखा गया।

मोखमपुरा. निकटवर्ती अवलेश्वर में चल रही शिवपुराण कथा में शिव विवाह का मंचन किया गया। बारात गांव राजोरा से निकाली। जिसमें कई श्रद्धालुओं ने भाग लिया। दोनों गांवों के लोगों ने कथा स्थल पर पहुंचकर विवाह की झांकी का मंचन किया। कथा प्रवक्ता सत्यनारायण ने शालिग्राम व माता तुलसी का वर्णन सुनाया।
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