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पासवान ने कहा कि इससे सोने की शुद्धता परखने में असमर्थ लोगों को लाभ मिलेगा क्योंकि सोने की प्रमाणिकता देखकर वह खरीदारी कर पाएंगे और उनके साथ धोखाधड़ी नहीं होगी। केंद्रीय मंत्री ने प्रेसवार्ता में कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग की ओर से इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसे लागू करने के लिए एक साल का समय दिया जाएगा और इस दौरान निजी कारोबारी सोने की प्रमाणिकता परखने के लिए नए जांच केंद्र स्थापित करेंगे। ये जांच केंद्र उन जगहों पर होंगे जहां सोने के आभूषणों की मांग बढ़ेगी।
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इस दौरान आभूषण विक्रेताओं के पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और खुदरा आभूषण विक्रेता अपने मौजूदा व पुराने स्टॉक को निकाल पाएंगे। पासवान ने कहा कि यह फैसला आम उपभोक्ताओं और आभूषण कारोबारियों को ध्यान में रखकर लिया गया है। आईबीजेए के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता ने कहा कि हॉलमार्किं ग अनविार्य करना सरकार द्वारा सही दिशा में उठाया गया कदम है क्योंकि इससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ेगा और सोने के आभूषण कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। मेहता ने कहा, “इससे छोटे और बड़े आभूषण कारोबारियों के बीच समानता आएगी और दोनों एक ही प्रकार की शुद्धता वाला सोना बेचेंगे और उनके बीच बेहतर डिजाइन को लेकर प्रतिस्पर्धा होगी।” मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो ( बीएसआई ) अधिनियम 2016 को 12 अक्टूबर 2017 से और भारतीय मानक ब्यूरो ( हॉलमार्किंग ) विनियमन 2018 को 14 जून 2018 से लागू किया गया।
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मंत्रालय ने बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 2016 के तहत केंद्र सरकार ने सोने आभूषण व कलाकृति की हॉलमार्किंग करने के लिए धारा 14 और 16 के तहत प्रावधानों को सक्षम बनाया है, जिससे सोने के समान बेचने वाले सभी आभूषण विक्रेताओं को बीआईएस के पास पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा और सिर्फ हॉलमार्क वाले सोने के आभूषण व कलाकृतियां ही बेची जाएंगी। बीएसआई अप्रैल 2000 से सोने के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग की योजना चला रहा है। मंत्रालय ने बताया कि 31 अक्टूबर 2019 को देशभर के 234 जिलों में 877 जांच व हॉलमार्किंग केंद्र थे जहां 26,019 आभूषण कारोबारियों ने पंजीकरण करवाया है।