ईडी ने वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट (Flipkart) और इसके संस्थापकों को नोटिस जारी हुए पूछा है कि विदेशी निवेश कानूनों के कथित उल्लंघन के लिए क्यों ना उन पर $1.35 बिलियन का दंड लगा देना चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय कई वर्षों से ई-कॉमर्स साइट्स फ्लिपकार्ट और अमेज़न (Amazon) की जांच कर रही है। ईडी के हिसाब से ये दोनों ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म विदेशी निवेश कानूनों का पालन नहीं कर रहे हैं।
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यह मामला उन आरोपों की जांच से संबंधित है, जिनमें फ्लिपकार्ट ने विदेशी निवेश और डब्ल्यूएस रिटेल को अपनी ओर खींचा और फिर उपभोक्ताओं को अपनी पिंग वेबसाइट पर उपभोक्ताओं को गैर-कानूनी सामान बेचा।
इससे पहले भी जुलाई में फ्लिपकार्ट और इसके संस्थापक सचिन बंसल व बिन्नी बंसल के साथ-साथ वर्तमान निवेशक टाइगर ग्लोबल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें पूछा गया था कि उन्हें जुर्माने का सामना क्यों नहीं करना चाहिए।
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फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता ने कहा, “कंपनी भारतीय नियमों और विनियमों का पालन कर रही है। हम अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे क्योंकि वे अपने नोटिस के अनुसार 2009-2015 की अवधि से संबंधित इस मुद्दे को देखेंगे।” भारतीय एजेंसियां जांच के दौरान पार्टियों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस को सार्वजनिक रूप से सामने नहीं रखती हैं। फिलहाल फ्लिपकार्ट और अन्य के पास नोटिस का जवाब देने के लिए लगभग 90 दिन का वक्त है।
गौरतलब है कि वॉलमार्ट ने 2018 में ई-कॉमर्स साइट प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट में 16 अरब डॉलर से एक बड़ी हिस्सेदारी ली, यह अब तक का सबसे बड़ा सौदा माना गया। सचिन बंसल ने उस समय अपनी हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेच दी थी, जबकि बिन्नी बंसल ने एक छोटी हिस्सेदारी जारी रखी थी।
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