रेस्टोरेंट में डिनर पर देना पड़ा रहा ज्यादा बिल तो मत करिए चिंता, सरकार उठा रही ये कदम

रेस्टोरेंट द्वारा मुनाफखोरी पर सरकार उठाएगी सख्त कदम, एंटी मुनाफाखोरी संस्था के स्थापना की घोषणा कर चुकी है सरकार।

नई दिल्ली। अगर जीएसटी में नियमों में बदलाव के बाद भी आपको रेस्टोरेंट में खाना खाने पर ज्यादा पैसे देने पड़ते है तो चिंता मत कीजिए। सरकार ऐसे मुनाफाखोरी पर जल्द ही लगाम लगाने वाली है जिसके बाद से रेस्टोरेंट आपको नहीं लूट सकेंगे। जबकि रेस्तरां उच्च लागत के कारण कीमतों में परिवर्तन करने के लिए स्वतंत्र हैं, जीएसटी परिषद के इनपुट टैक्स के्रडिट खत्म करने का फैसला लेते हुए रेस्टोरेंट पर लगने वाले 18 फीसदी जीएसटी का घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अगर इनपुट क्रेडिट वापस लेने का असर इतनी तेजी से बढ़ता है तो, उन्हे जुलाई में जीएसटी लागू करने के बाद इसी तरह से अपनी कीमतों को कम करना चाहिए था। यह एंटी मुनाफाखोरी का एक उपयुक्त मामला है।


मुनाफाखोरी के मामलों पर लगेगा पेनाल्टी

उन्होने कहा कि, कुछ खास शिकायतों के अलावा सरकार ने इसपर स्वंय पहल करते हुए इस पर एक्शन लिया है। हम इस अधिकतर संभावित पेनाल्टी लेंगे अगर किसी भी तरह के मुनाफाखोरी का मामला सामने आता है। पहले ही कई बड़े रेस्टोरेंट चेन्स ने अपने बेस प्राइस में इजाफ कर दिया है। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया(एनआएआई), जो संगठित क्षेत्र की ओर से पैरवी कर रहा है, ने अनुमान लगाया था कि इनपुट क्रेडिट निकालने से मेन्यू में 6-7 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकता है। इसके विपरीत उसने सरकार को पहले ये बताया था कि, जीएसटी ने रेस्टोरेंट में 1 फीसदी का एक छोटा सा लाभ होगा।


जीएसटी के बाद उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा था कम कीमतों का फायदा

इसके अलावा अन्य एसोसिएशन ने इस फैसले का स्वागत किया है, एनआरएआई के सदस्यों ने जीएसटी परिषद की र्कावाई को चुनौती देने का फैसला किया है। गुरुवार को, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक मुनाफाखोरी विरोधी संस्था की स्थापना की घोषणा की थी और जीएसटी के लागू होने के बाद से अब उपभोक्ताओं को कारोबार के मामलें को उजागर करने के लिए कहा गया है। वित्त मंत्रालय ने ये देखने के बाद की जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद भी उपभोक्ताओं को कीमतों कमी का लाभ नहीं मिला है, इनपुट क्रेडिट के साथ-साथ किराए पर होने वाले टैक्स क्रेडिट के लाभ को वापस लेने का फैसला किया है। इसके अलावा, टैक्स के्रडिट की वापसी के साथ आगे बढऩे की योजना को राज्यों आश्वस्त रुप से लागू करने में मुश्किल हो रहा था।

 
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