बांध निर्माण में 248 किसानों की जा रही भूमि
घाटबिरोली में 6 करोड़ 60 लाख की लागत से बन रहे इस बांध में लगभग 248 किसानों की 211 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में जा रही है। सावंगा, बरखे$ड, निंबोटी और पांढरी के किसानों की भूमि डूब क्षेत्र में जानी है। ब$डा बांध होने से लगभग 1070 हैक्टयर भूमि इससे सिचिंत होगी। किसानों ने बताया कि क्षेत्र के दर्जनों किसानों की भूमि डूब क्षेत्र में जा रही है, ऐसे में जब तक उनके हाथ में उनकी जमीन का मुआवजा नहीं आएगा और उन्हें उचित मुआवजा नहीं दियाा जाएगा, तब तक वह खेतों में किसी को नहीं घुसने देंगे और काम नहीं होने देंगे।
घाटबिरोली में 6 करोड़ 60 लाख की लागत से बन रहे इस बांध में लगभग 248 किसानों की 211 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में जा रही है। सावंगा, बरखे$ड, निंबोटी और पांढरी के किसानों की भूमि डूब क्षेत्र में जानी है। ब$डा बांध होने से लगभग 1070 हैक्टयर भूमि इससे सिचिंत होगी। किसानों ने बताया कि क्षेत्र के दर्जनों किसानों की भूमि डूब क्षेत्र में जा रही है, ऐसे में जब तक उनके हाथ में उनकी जमीन का मुआवजा नहीं आएगा और उन्हें उचित मुआवजा नहीं दियाा जाएगा, तब तक वह खेतों में किसी को नहीं घुसने देंगे और काम नहीं होने देंगे।
मुआवजे की मांग
किसानों का कहना है कि जल संसाधन विभाग के पीएस राधेश्याम जुलानिया द्वारा एक आदेश जारी किया गया है कि जमीन का मुआवजा दिया जाएगा, जमीन पर स्थित कुंए, बोर, फलदार और इमारती वृक्ष एवं भवनों आदि का मुआवजा नहीं दिया जाएगा। ऐसे में किसानों में भारी रोष व्याप्त है। इस बांध में कई ऐसे किसान भी है, जिनकी पूरी जमीन भी जा रही है, जिससे इन किसानों के पास हाथ में कुछ नहीं बचेगा, इधर ठेकेदार द्वारा मनमानी करते हुए बिना मुआवजा बांटे ही खेतों को खोदना शुरू कर दिया गया है,जिससे किसान उग्र हो गए। बताया जाता है कि किसानों द्वारा बिना मुआवजा के काम शुरू करने पर विरोध करने के लिए एक विस्तृत रूपरेखा बनाई जा रही है।
किसानों का कहना है कि जल संसाधन विभाग के पीएस राधेश्याम जुलानिया द्वारा एक आदेश जारी किया गया है कि जमीन का मुआवजा दिया जाएगा, जमीन पर स्थित कुंए, बोर, फलदार और इमारती वृक्ष एवं भवनों आदि का मुआवजा नहीं दिया जाएगा। ऐसे में किसानों में भारी रोष व्याप्त है। इस बांध में कई ऐसे किसान भी है, जिनकी पूरी जमीन भी जा रही है, जिससे इन किसानों के पास हाथ में कुछ नहीं बचेगा, इधर ठेकेदार द्वारा मनमानी करते हुए बिना मुआवजा बांटे ही खेतों को खोदना शुरू कर दिया गया है,जिससे किसान उग्र हो गए। बताया जाता है कि किसानों द्वारा बिना मुआवजा के काम शुरू करने पर विरोध करने के लिए एक विस्तृत रूपरेखा बनाई जा रही है।