किसानों ने कहा- ‘जब तक पूरा मुआवजा नहीं मिलेगा बांध का काम नहीं करने देगें’

घाट बिरोली में करीब 1070 हैक्टयर भूमि को सिंचित करने के लिए 6 करोड़ 60 लाख की लागत से बांध का हो रहा निर्माण

<p>Do not let the dam work</p>
मुलताई। घाट बिरोली बांध में भूमि के साथ ही पेड़ों तथा कुंओं आदि के भी मुआवजे की मांग कर रहे किसानों ने शनिवार उग्र होकर बांध निर्माण का कार्य रूकवा दिया। किसानों का आक्रोश देखने के बाद निर्माण स्थल से ठेकेदार को मशीनें हटाना पड़ा। किसानों ने ठेकेदार को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक उन्हें पूरा मुआवजा नहीं मिल जाता तब तक वे कार्य नहीं करने देगें।
घाट बिरोली में लगभग 1070 हैक्टयर भूमि को सिंचित करने के लिए 6 करोड़ 60 लाख की लागत से बांध बनाने की स्वीकृति मिली है। जल संसाधन विभाग द्वारा इस काम को करवाया जा रहा है लेकिन डूब क्षेत्र में जाने वाली भूमि के किसानों द्वारा मुआवजे को लेकर असंतोष व्याप्त है। शनिवार की सुबह ठेकेदार द्वारा जेसीबी मशीनों से खेतों की खुदाई शुरू कर दी गई। खेतों को खोदने की खबर मिलते ही सांवगा, बरखेड, निंबोटी, घाटबिरोली, पांढरी के दर्जनों ग्रामीण पहुंच गए। किसानों ने कहा कि उन्हें अभी तक जमीन का मुआवजा नहीं मिला है, बिना मुआवजा दिए, उनके खेतों में काम कैसे शुरू कर दिया गया। ग्रामीण दौलतराव, साहेबराव, मुन्ना भादे, मनीराम, शिव , शंकर भादे आदि ने बताया कि ठेकेदार जबरदस्ती उनके खेतों में घुस गया और खेतों को खोद रहा है। ग्रामीणों के विरोध के बाद ठेकेदार मशीने लेकर मौके से भाग गया।
बांध निर्माण में 248 किसानों की जा रही भूमि
घाटबिरोली में 6 करोड़ 60 लाख की लागत से बन रहे इस बांध में लगभग 248 किसानों की 211 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में जा रही है। सावंगा, बरखे$ड, निंबोटी और पांढरी के किसानों की भूमि डूब क्षेत्र में जानी है। ब$डा बांध होने से लगभग 1070 हैक्टयर भूमि इससे सिचिंत होगी। किसानों ने बताया कि क्षेत्र के दर्जनों किसानों की भूमि डूब क्षेत्र में जा रही है, ऐसे में जब तक उनके हाथ में उनकी जमीन का मुआवजा नहीं आएगा और उन्हें उचित मुआवजा नहीं दियाा जाएगा, तब तक वह खेतों में किसी को नहीं घुसने देंगे और काम नहीं होने देंगे।
मुआवजे की मांग
किसानों का कहना है कि जल संसाधन विभाग के पीएस राधेश्याम जुलानिया द्वारा एक आदेश जारी किया गया है कि जमीन का मुआवजा दिया जाएगा, जमीन पर स्थित कुंए, बोर, फलदार और इमारती वृक्ष एवं भवनों आदि का मुआवजा नहीं दिया जाएगा। ऐसे में किसानों में भारी रोष व्याप्त है। इस बांध में कई ऐसे किसान भी है, जिनकी पूरी जमीन भी जा रही है, जिससे इन किसानों के पास हाथ में कुछ नहीं बचेगा, इधर ठेकेदार द्वारा मनमानी करते हुए बिना मुआवजा बांटे ही खेतों को खोदना शुरू कर दिया गया है,जिससे किसान उग्र हो गए। बताया जाता है कि किसानों द्वारा बिना मुआवजा के काम शुरू करने पर विरोध करने के लिए एक विस्तृत रूपरेखा बनाई जा रही है।
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