मोक्ष माला परिधान का हुआ आयोजन

भक्तों का लगा तांता

छोटीसादड़ी तीन तत्व बड़े दुर्लभ है, सुदेव, सद्गुरु तथा सुधर्म। सुदेव उसे कहते हैं जिनमें कोई इच्छा न हो, सुगरू उसे कहते हैं जिनमें कोई मूर्छा ना हो। सुधर्म उसे कहते हैं जिनमें कोई किसी प्रकार की हिंसा न हो, ऐसे देवगुरु धर्म के प्रभाव से जीवन को अलंकृत करना चाहिए। यह वचन उपधान तप के तपस्वियों को मोक्ष माला के आयोजन में मुनि ऋषभ रत्न विजय ने सिद्धाचल वाटिका में धर्मसभा में कहे। चातुर्मास में संघवी माणकलाल सोनी परिवार द्वारा आयोजित संपूर्ण उपद्यान तप के अंतर्गत शुक्रवार को प्रथम उपधान तप के तपस्वी को मोक्ष माला पहचान करवाई गई। जिसमें सर्वप्रथम आचार्य भगवंत द्वारा विधि विधान एवं मंत्रोच्चार से क्रिया करवाई गई। माला पहनने वाले लाभार्थियों तथा आराधक को आचार्य द्वारा विविध प्रकार के नियम संकल्प दिए गए। इस आयोजन के अंदर गुरु भगवंत को कामली वोरने की बोली लगाई गई। जिसका लाभ केसरीमल लक्ष्मीलाल बंडी परिवार ने लिया। प्रथम माला से लगाकर 40 माला तक के आराधकों को क्रमश: वाला परिधान जय जय के नारों से तपस्वी अमर रहे अमरनाद से संपन्न किया गया। यह उपद्यान तप में 47 दिन तक पोषध किया जाता है। जिसमें स्नान, इलेक्ट्रिक सिटी बिजली से चलने वाले साधन आदि का संपूर्ण तथा त्याग करके साधु की तरह जीवन जीना होता है। कुल 47 दिन में 1410 सामायिक की आराधना तथा प्रत्येक आराधक द्वारा एक लाख एक हजार पांच सौ बीस नवकार मंत्र गिने जाते हैं। उपधान के 47 दिन में 21 उपवास, 10 आयम्बिल तथा 16 निवि जिसमें एक टाइम भोजन करना होता है। जो आराधक भावपूर्वक उपद्यान तप करता है, उसे आगामी भाव में परमात्मा का योग सुलभ होता है। सभी आवेदकों का रजत मुद्रा से सम्मान बहुमान किया गया। इस अवसर पर जेलर बुक का विमोचन किया गया। जिसकी आज दिन तक एक लाख प्रतिया नकल छपकर निकल चुकी है। इस संपूर्ण उपद्यान तप के आयोजक परिवार संघवी श्रावकरत्नए माणकलाल सोनी परिवार का बहुमान एवं सम्मान का लाभ छोटी सादड़ी श्री संघ से नागौरी परिवार ने लिया। शनिवार को दोनों आचार्य भगवंत तथा साध्वीजी भगवंत का सिद्धाचल वाटिका से आदिनाथ जैन मंदिर में प्रवेश होगा। वही शुक्रवार शाम को कुमारपाल महाराजा बनकर हाथी पर सवार होकर 108 दीपक की महा आरती की गई।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.