मंदसौर संसदीय क्षेत्र में आठ सीटें है। इन आठ सीटों में सुवासरा विधानसभा में उपचुनाव है। उपचुनाव में दोनों पार्टियों ने रणनीति बनाकर प्रचार-प्रसार शुरु कर दिया है। इस उपचुनाव वाली सीट का इतिहास बढ़ा दिलचस्प और रोचक रहा है। कई ऐसी विधानसभा सीट है। जहां से पिता-पुत्र एक ही सीट से चुनावी मैदान में उतरे। लेकिन यह संसदीय क्षेत्र की एक मात्र सीट सुवासरा है। जहां से ससुर-बहू विधायक रहे। तो परिसीमन से पहले पिता तो परिसीमन के बाद पुत्र भी विधायक रहे है। और चारों पूर्व विधायक वर्तमान में भी राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
कांग्रेस में ससुर-बहू
सुवासरा विधानसभा सीट से कांगे्रस नेता रामगोपाल भारतीय १९७२ में चुनावी मैदान में उतरे और जीते। उसके बाद उनकी बहू पुष्पा भारतीय को १९९८ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया, जिसमें वे जीती। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार जगदीश देवड़ा को चुनाव में हराया। उसके बाद २००३ में फिर से दोनों उम्मीदवार आमने-सामने हुए। जिसमें भाजपा उम्मीदवार देवड़ा चुनाव जीते।
भाजपा में पिता-पुत्र दोनों चुनाव जीते
जिले में पहले सीतामऊ और सुवासरा सीट अलग-अलग थी। सीतामऊ सीट से भाजपा नेता नानालाल पाटीदार तीन बार विधायक रहे है। वे चार विधानसभा चुनाव में से तीन विधानसभा चुनाव जीते। सीतामऊ सीट का २००८ में परसीमिन हुआ। जिसके बाद सीतामऊ-सुवासरा एक विधानसभा हो गई। और इस साल हुए विधानसभा चुनाव में उनके बेटे राधेश्याम पाटीदार को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। और वे चुनाव जीते। हांलाकि २०१३ और २०१८ के चुनाव में वे कंाग्रेस उम्मीदवार हरदीप सिंह डंग से चुनाव हारे।
सास-बहू तो पिता-पुत्र अब भी निभा रहे भूमिका
सुवासरा विधानसभा चुनाव में हर आम से लेकर खास पर चुनावी रंग धीरे-धीरे चढ़ रहा है। इस चुनाव के प्रचार में पूर्व विधायक रामगोपाल भारतीय जिनकी ९२ साल की उम्र हो चुकी है। वे अब भी घर से तो उनकी बहू पूर्व विधायक पुष्पा भारतीय विधानसभा क्षेत्र में जाकर अपनी पार्टी के लिए चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। तो ९० साल की उम्र में पूर्व विधायक नानालाल पाटीदार घर से भाजपा कार्यकर्ताओं से बात करते है। और अपना योगदान दे रहे है। तो उनके बेटे पूर्व विधायक राधेश्याम पाटीदार को भाजपा संगठन ने चुनाव में संचालक का दायित्व सौंपा है।
कांग्रेस में ससुर-बहू
सुवासरा विधानसभा सीट से कांगे्रस नेता रामगोपाल भारतीय १९७२ में चुनावी मैदान में उतरे और जीते। उसके बाद उनकी बहू पुष्पा भारतीय को १९९८ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया, जिसमें वे जीती। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार जगदीश देवड़ा को चुनाव में हराया। उसके बाद २००३ में फिर से दोनों उम्मीदवार आमने-सामने हुए। जिसमें भाजपा उम्मीदवार देवड़ा चुनाव जीते।
भाजपा में पिता-पुत्र दोनों चुनाव जीते
जिले में पहले सीतामऊ और सुवासरा सीट अलग-अलग थी। सीतामऊ सीट से भाजपा नेता नानालाल पाटीदार तीन बार विधायक रहे है। वे चार विधानसभा चुनाव में से तीन विधानसभा चुनाव जीते। सीतामऊ सीट का २००८ में परसीमिन हुआ। जिसके बाद सीतामऊ-सुवासरा एक विधानसभा हो गई। और इस साल हुए विधानसभा चुनाव में उनके बेटे राधेश्याम पाटीदार को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया। और वे चुनाव जीते। हांलाकि २०१३ और २०१८ के चुनाव में वे कंाग्रेस उम्मीदवार हरदीप सिंह डंग से चुनाव हारे।
सास-बहू तो पिता-पुत्र अब भी निभा रहे भूमिका
सुवासरा विधानसभा चुनाव में हर आम से लेकर खास पर चुनावी रंग धीरे-धीरे चढ़ रहा है। इस चुनाव के प्रचार में पूर्व विधायक रामगोपाल भारतीय जिनकी ९२ साल की उम्र हो चुकी है। वे अब भी घर से तो उनकी बहू पूर्व विधायक पुष्पा भारतीय विधानसभा क्षेत्र में जाकर अपनी पार्टी के लिए चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। तो ९० साल की उम्र में पूर्व विधायक नानालाल पाटीदार घर से भाजपा कार्यकर्ताओं से बात करते है। और अपना योगदान दे रहे है। तो उनके बेटे पूर्व विधायक राधेश्याम पाटीदार को भाजपा संगठन ने चुनाव में संचालक का दायित्व सौंपा है।