मंदिर क्षेत्र में गंदे पानी से दुर्गंध ना हो इसीलिए नाले को 145 मीटर खिसका दो

मंदिर क्षेत्र में गंदे पानी से दुर्गंध ना हो इसीलिए नाले को 145 मीटर खिसका दो

<p>मंदिर क्षेत्र में गंदे पानी से दुर्गंध ना हो इसीलिए नाले को 145 मीटर खिसका दो</p>

मंदसौर । शिवना को शुद्ध करने के लिए हर बार कभी जलकुंभी के नाम पर तो कभी गहरीकरण के नाम पर लाखों रुपए खर्चकिए जाते हैलेकिन धरातल पर आजतक शिवना शुद्ध नहीं हो सकी है। पिछले 10*15 सालों में कितनी ही योजनाएं बनाई गईहै, राशि खर्चकी गईलेकिन शिवना की स्थिति आज भी जस की तस है। सीवरेज प्लान के साथ ही १२ करोड की शुद्धिकरण योजना अभी कागजो में ही है। गर्मीके मौसम के दौरान शिवना को शुद्ध करने के लिए लाखों रुपए खर्चकरके पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र में शिवना नदी की चौड़ाईबढ़ाईगई। लेकिन शुद्धिकरण पर कोईध्यान नहीं दिया गया। यहंी कारण हैकि बारिश के तीन माह बाद ही शिवना नदी में दुर्गंध आने लगी है। पशुपतिनाथ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को इस दुर्गंध से परेशान होना पड़ रहा है।
छोटी पुलिया से 145 मीटर आगे बढ़ाओ नाला
नदी से आ रही दुर्गंध एवं श्रद्धालुओं को हो रही परेशानी को देखते हुए शनिवार को कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने नगरपालिका टीम के साथ निरीक्षण किया। कलेक्टर ने नगरपालिका के इंजीनियरो को निर्देश दिए कि मुक्तिधाम से पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र में शिवना का पानी शुद्ध रखने के लिए छोटी पुलिया के यहां जो नाला छोड़ रखा है, उसे १४५ मीटर आगे बढ़ाने की बात कहीं। जिससे की मंदिर क्षेत्र में नाले के पानी से दुर्गंध ना हो। शिवना को शुद्ध करने के लिए अधिकारी सीवरेज प्लान और 12 करोड के नदी शुद्धिकरण प्लान पर निगाहे टिकाते हुए आचार संहिता हटने का इंतजार करते दिख रहे है।
कई क्षेत्रों से मिल रहे गंदे नाले
जानकारी अनुसार शिवना नदी में खानपुरा, मदारपुरा, शहर के कईस्थानों से गंदे नाले मिल रहे है। जो लगातार नदी को प्रदूषित कर रहे है। शिवना नदी शहर के पेयजल का एकमात्र स्त्रोत है। इसके बावजूद जिम्मेदार नदी को लेकर गंभीर नहीं दिखाईदेते। मुक्तिधाम क्षेत्र से लेकर पशुपतिनाथ मंदिर तक के क्षेत्र में शिवना के पानी में गंदे नालो का पानी मिल रहा है।
सैंपल लेने तक सीमित है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
भगवान पशुपतिनाथ मंदिर क्षेत्र में पानी काई सा नीला तो मुक्तिधाम क्षेत्र में पानी लाल रंग का होता है। वहीं अलावदाखेड़ी क्षेत्र में पानी का रंग दूसरा होता है। इस स्थिति को देखते हुए कई बार केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के वैज्ञानिको ने सैंपल लिए। लेकिन आज तक यह पता नहंीं कर पाए कि ऐसा क्यो हो रहा है। वैज्ञानिक करीब 10 जगह से शिवना नदी के पानी के सैंपल भी ले चुके है और पानी को जहरीला भी बता चुके है।
मेले में आने वाले श्रद्धालु परेशान
पशुपतिनाथ मंदिर के सामने छोटी पुलिया के पास शिवना में भारी गंदगी जमा है। दूसरी तरफ नाले का पानी भी एकत्र हो रहा है जिससे नदी के पानी से दुर्गंध आने लगी है। पशुपतिनाथ मंदिर के सामने शिवना नदी में स्नान, पूजा और दीपदान के साथ कईआयोजन श्रद्धालुओ को दुर्गंध के बीच ही करना पड़े है। वर्तमान में भी मेला स्थल पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं दुर्गंध के कारण परेशान हो रहे है।
इनका कहना…
मंदिर की छोटी पुलिया क्षेत्र में छोड़े गए नाले को १४५ मीटर तक आगे बढ़ाने के निर्देश कलेक्टर ने दिए है। इससे मंदिर क्षेत्र में पानी गंदा नहीं होगा और दुर्गंध की समस्या खत्म होगी। 145 मीटर के आगे नदी शुद्धिकरण के लिए १२ करोड की डीपीआर बन गईहै। आचार संहिता खत्म होते ही प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। नदी के सीवरेज प्लान को लेकर भी आचार संहिता के बाद कार्यशुरु होगा।
– सुधीर जैन, एई, नगरपालिका

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.