आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी खुद स्वीकारते हैं कि यह आयुर्वेदिक औषधि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को रोकने में उपयोगी है। इससे सर्दी, जुकाम, खांसी और बुखार जैसे प्रांरभिक लक्षणों को नियंत्रित कि या जा सक ता है। इस चूर्णं की आम जनमानस में अभी भी मांग बनी हुई है। लोग अस्पताल में आकर इसकी पूछताछ क र रहे हैं। जहां उन्हें पुडिय़ा बनाकर चूर्णं उपलब्ध हो रहा है। जिसके लिए उन्हें पांच रुपए देकर अस्पताल में पंजीयन भी कराना होता है। वर्ष 2020 में आयूष विभाग ने अभियान चलाकर घर-घर चूर्णं का वितरण निशुल्क किया था। इस साल 2021 में कोरोना की वापसी होने पर राज्य शासन के आयुष विभाग द्वारा इस जनऔषधि के वितरण की कोई रणनीति घोषित नहीं की गई है। इससे आयुष विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी निराश हैं। वे इस महामारी के नियंत्रण में जनापेक्षा के अनुरूप योगदान नहीं दे पा रहे हैं।
बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
आयुर्वेदिक उपचार पद्धति में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए संशमनी बटी जिसमें गिलोय होती है, त्रिकटु चूण काढ़ा जिसमें सौंठ, पीपली एवं काली मिर्च का उपयोग किया जाता है। संशमनी वटी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, ज्वर व सर्दी जुकाम में उपयोगी है। त्रिकटु चूर्ण खांसी, सर्दी-जुकाम व अन्य रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इन औषधियों को निश्चित मात्रा में चिकित्सक के परामर्श अनुसार सुरक्षात्मक उपाय के रूप में वर्तमान कोरोना संक्रमण में सेवन करना लाभदायक है।