बताया गया कि एसबीआई बैंक के नाम से पीडि़त के पास मैसज आया था। जिसमें केवायसी अपडेट करने की बात कही गई। टोल फ्री नंबर भी दिया गया। कोरोना काल का बहाना बताकर एक मात्र ऑन लाईन अपडेट कराने का विकल्प बताया गया। डॉक्टर ने बैंक मैनेजर समझकर सायबर ठग को केवायसी अपडेट करने के लिए ओटीपी दे दिया। जिसके बाद डॉक्टर के बचत खाते से 33 लाख 61 हजार 354 रुपए आहरित कर लिए गए है। 12 अगस्त को फिर डॉक्टर के पास सायबर ठग का कॉल आया कि दूसरा खाता होल्ड है। बैंक में संपर्क कर होल्ड से अलग कराएं। जिसके बाद डॉक्टर कोरी बैंक पहुंचे। यहां उन्होंने बैंक कर्मियों से खाता होल्ड होने पर चर्चा की। बैंक कर्मचारी ने खाते का बैंलेस पूछा। जिसके बाद बैंलेस चेक किया। जिसमें पता चला कि खाते में सिर्फ 2 हजार है। बैंक कर्मी समझ गये कि डॉक्टर के साथ ठगी हो गई है। उन्होंने डॉक्टर के परिजनों से संपर्क कर इसकी जानकारी दी।
अंजान फोन कॉल में पीडि़त डॉक्टर की एक गलती उनके समूचे जीवन की कमाई पर भारी पड़ चुकी है। वहीं अब पुलिस और बैंक के असहयोग ने उन्हें और परेशान कर रखा है। पीडि़त ने बताया कि संबधित बैंक की एसबीआई के अधिकारी उनसे एफआईआर की मांग कर रहे हैं। लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की गई। बताया गया है कि मामले को सीआईडी जबलपुर में भेज दिया गया है।
वर्जन
महाराजपुर थाना में यह मामला आया है। मामले की जांच की गई है। साइबर सेल से पता किया, जिसमें पता चला कि बाहरी व्यक्ति ने राशि निकाल ली है। दो लाख से अधिक राशि की ठगी होने के कारण सीआईडी जबलपुर को भेज दी गई है।
जीएस कंवर, एएसपी, मंडला।