महीनों बाद स्कूल पहुंचे, गंदगी के बीच की पढ़ाई

शासकीय स्कूलों में दिखी स्वच्छता की कमी, स्कूल के लिए बच्चे रहे उत्साहित

<p>महीनों बाद स्कूल पहुंचे, गंदगी के बीच की पढ़ाई</p>

मंडला.भले ही प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना गाइडलाइन के पालन को अनिवार्य करते हुए 20 सितंबर से प्रदेश की शासकीय एवं अशासकीय प्राइमरी स्कूलों को शुरू कर दिया गया है लेकिन शहर से लेकर गांवो की स्कूलों में पर्याप्त तैयारियां नहीं देखी गई। कहीं गंदगी का अंबार लगा रहा तो कहीं नाम मात्र के बच्चे पहुंचे। गणवेश और पुस्तकों की कमी भी देखी गई। ऐसे में बच्चों को अव्यवस्थाओं के बीच ही अध्यापन कराना पड़ा। गौरतलब है कि गत वर्ष कोरोना काल के बाद से प्राइमरी स्कूलें बंद कर दी गई थीं। अब सरकार 18 महीने के बाद इन स्कूलों को प्रारंभ कर दिया है। स्कूल शुरू होने के साथ पत्रिका टीम ने प्राथमिक स्कूलों को स्कैन किया तो कहीं पर छत पर लगे हुए कबेलू टूटे मिले, तो कहीं कमरों में गंदगी। बच्चों में लंबे अंतराल के बाद अपने मित्रों के साथ दिन स्कूल जाने का उत्साह भी देखने को मिला। सुबह 10.30 बजे से 4 बजे तक स्कूल संचालित किया गया लेकिन मध्यान्ह भोजन ना मिलने से आधे समय बाद ही बच्चे घर जाने की जिद्द करते नजर आए। जानकारी के मुताबिक शासन ने कक्षा पहली से 5वीं तक की शासकीय एवं अशासकीय प्राथमिक स्कूलों को 50 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति के साथ खोलने के आदेश जारी किए हैं। कोरोना गाइडलाइन का पालन कराते हुए बच्चों को मास्क पहनने, सेनेटाइजर का उपयोग एवं सोशल डिस्टेंसिंग रखने के लिए कहा गया है।


जिले में पहली से आठवीं तक 2707 शासकीय स्कूल व लगभग 184 अशासकीय स्कूल संचालित हैं। जहां सोमवार से कक्षाएं प्रारंभ कर दी गई। शासकीय स्कूलों में स्वच्छता की कमी देखी गई। दरअसल शासकीय स्कूलों में सफाई के लिए कर्मचारी नियुक्त नहीं है। ग्राम पंचायत या मध्यान्ह भोजन पकाने वाले समूह के भरोसे सफाई व्यवस्था रहती है। हालांकि ज्यादातर स्कूल के कमरो को पूर्व ही रंगरोगन कर दिया गया है। लेकिन मैदान व स्कूल के आसपास गंदगी देखने को मिली।


स्कूल के सामने कचरे का ढेर
जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत बिंझिंया के प्राथमिक शाला संजय नगर में स्कूल के मुख्य गेट में ही गंदगी का अंबार लगा रहा। बताया गया कि यहां अघोषित कचरा घर बना लिया गया है। स्कूल प्रबंधन द्वारा विभाग के साथ ही ग्राम पंचायत में भी सफाई के लिए आवेदन कर चुके हैं। लेकिन कचरा उठने के दो दिन बाद स्थिति जस की तस हो जाती है। यहां पर 22 दर्ज बच्चों के बीच 4 शिक्षक नियुक्त हैं। सोमवार को 6 बच्चे स्कूल पहुंचे थे। जो गणवेश में नहीं थे। शिक्षकों ने बच्चों का तिलक वंदन कर स्वागत दिया। कुछ बच्चों को पहले ही पुस्तक दे दी गई थी। जिनके पास पुस्तक नहीं थी उन्हें पुस्तकें दी गई। यहां बारिश के पानी निकासी की समस्या भी देखने को मिली। व्यवस्था बाधित होने के चलते बारिश का पानी कमरे तक में पहुंच गया। जिसके चलते छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को परेशानी उठानी पड़ी।
बच्चों में दिखा उत्साह
घुघरी. विद्यालय खुलने के बाद आए छात्र-छात्रों में पढाई को लेकर काफी उत्साह देखा गया। कई विद्यालयों में दर्ज सभी छात्र छात्राएं पहुंच गए। तिलक वंदन लगाकर विधालय में स्वागत किया। सेनीटाईजर व मास्क लगाना सुनिश्चित करते हुए पढ़ाई आरंभ की गई। प्राथमिक शाला ग्वारा में पदस्त शिक्षिका शशि नरते ने बताय कि लगभग डेढृ साल बाद विद्यालय खुलने पर बच्चों में पढ़ाई के लिए खासा उत्साह देखा गया। प्राथमिक शाला झिगरघटा में भी बच्चे बड़ी संख्या में पहुंचे। शिक्षका भागवती चौबे ने बताया कि कोरोना आपदा के कारण बच्चों की पढाई ऑनलाईन चालू थी जो आगे भी चलते रहेगी। अभी 50 प्रतिशत विधार्थी को ही विधालय बुलाया गया है जो कि पारी वार विधालय आते रहेंगें। शासन द्वारा 40 प्रतिशत पाठ्यक्रम को भी कम कर दिया गया है। ताकि बच्चों पर अचानक से बोझ न पड़े।


गिरती छत को जुगाड़ से थामा
ग्राम पंचायत अहमदपुर के पोषक ग्राम सुरजपुरा में वर्ष 2006-07 में बनाया गया मिडिल स्कूल भवन की दीवालों की छपाई नहीं हुई है। यह आज भी अधूरा है। बताया गया कि इस भवन के निर्माण में ग्रामीणों द्वारा श्रमदान भी किया गया था और इस भवन की छत शुरू से ही गिरने की कगार में है, किन्तु वर्तमान शिक्षक कोमल सिंह मरकाम द्वारा जैसे तैसे जुगाड़ बना कर ईंट के पिलर खड़े कर रोक लिया गया है। बच्चे पानी टपकते इसी छत के नीचे पढऩे को मजबूर हैं। इसी तरह इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए दो अतिरिक्त कक्ष का निर्माण कराया गया है वो भी अधुरा पड़ा हुआ है। भवनों का निर्माण तत्कालीन शिक्षक अनिल मार्को द्वारा कराया गया है जो वर्तमान में माध्यमिक शाला जुझारी में सेवारत हैं। उन्होने बताया गया कि दरवाजा खिड़की खरीदने के नाम से सब इंजीनियर ने 50 हजार रुपए ले लिए थे एवं 1 लाख 20 हजार की निर्माण राशि अभी तक अप्राप्त है। इस लिए भवन अधूरे हैं।


हिंदी कहानी सुनाओ प्रतियोगिता आयोजित
केन्द्रीय विद्यालय में बच्चो के लिए हिंदी कहानी सुनाओ प्रतियोगिता प्राथमिक विभाग द्वारा आयोजित की गई थी। जिसमें बच्चो ने प्रतियोगिता में अपनी सहभागिता दर्ज कराई। यह प्रतियोगिता बच्चो में क्रिएटिविटी डेवलप करने के उद्देश्य से की गई थी। जिसमें बच्चो के द्वारा स्वयं हिंदी में स्पष्ट उच्चारण में कहानी सुनानी थी। साथ ही साथ कहानी के चरित्रों को साइड स्लाइड में दिखाना भी था। जिसमें श्यामली वर्मा द्वारा बनाए भेजे गए वीडियो को चयनित किया गया। केंद्रीय विद्यालय में इसके परिणाम घोषित किए गए। श्यामली वर्मा प्रथम, दूसरा स्थान लक्षित पंजरे एवं तृतीय स्थान आदर्श हरदहा को प्राप्त हुआ। केंद्रीय विद्यालय प्राचार्य उपेंद्र कुमार द्वारा बच्चो को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस दौरान विद्यालय परिवार से प्राथमिक शिक्षक उषा रानी, उमेश कुमार चौरसिया, गौरव दीक्षित, नितीश कुमार एवं ललिता देवी उपस्थित रही।


नारायणगंज विकासखंड के प्राथमिक शाला चिरी में सोमवार को भी ताला लटका रहा। यहां स्कूल खुलने की तैयारी को लेकर किसी प्रकार की गतिविधि नहीं देखी गई। यहां तक कर भवन के आसपास झाडि़ंयो ने कब्जा कर लिया है। ढीमर टोला चिरी में बच्चों का स्वागत करते हुए कक्षाएं संचालित की गई। बच्चों के लिए डेस्क भी लगाई गई हैं। शाला पहुंचे वाले सभी बच्चों को मास्क का वितरण किया गया, पुस्तकें बांटी गई।


तिलक वंदन फूलमाला से अभिनंदन
निवास. विकासखंड निवास में संचालित 135 शासकीय प्राथमिक शाला में कक्षा एक से 5वीं तक के बच्चों का शिक्षकों के द्वारा जोरदार स्वागत कर विद्यालय प्रारंभ किए गया। सर्वप्रथम बच्चों का प्रवेश द्वार में ही तिलक फूल माला से वंदन और अभिनंदन किया गया। जन शिक्षकों ने विद्यालय जा जाकर शिक्षकों से बच्चों के लिए मास्क, सैनिटाइजर एवं सामाजिक दूरी के साथ बैठने के लिए निर्देशित किया। बीआरसी कार्यालय निवास के अमले के द्वारा भी विद्यालयों की सतत मॉनिटरिंग की गई। विद्यालयों में स्वच्छता एवं बच्चों के लिए मास्क सैनेटाइजर की व्यवस्था के लिए शिक्षकों को निर्देशित किया गया।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.