रानी के पान के शौक ने बसा दिया नगर

राजा हृदय शाह के ना से पड़ा गांव का नाम

<p>रानी के पान के शौक ने बसा दिया नगर</p>

मंडला. जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बसे हृदय नगर (हिरदेनगर) गौड़कालीन राजा हृदय शाह का बसाया नगर है। जहां प्रत्येक वर्ष 15 दिन का प्रदेश का प्रसिद्ध पशुमेला लगता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह नगर राजा हृदय शाह ने 1600-1700 ईसवी में बसाया था। राजा की एक रानी को पान का खाने का शौक था जिसके लिए पान का व्यापार करने वाले चौरसिया समाज के लोगों को हृदय नगर में बसाया गया। नदी के पास ऊंचे स्थान में बस्ती दी गई। आसपास समतली जगह में तालाब का खनन करवाकर पान की खेती के लिए जगह दी गई। तब से यहां पान की खेती की जा रही है। नगर को व्यवस्थित तरीके से बसाया गया था। बस्ती के पास से एक वाइपास रास्ता भी दिया गया था। यहां ज्यादातर चौरसिया समाज के लोग हैं।


पानी की उपलब्धता के लिए बनवाए तालाब
गांव के बुर्जूग जयराम चौरसिया बताते हैं हृदय शाह राजा ने पानी व जमीन की उपलब्धता को देखते हुए पान की खेती के लिए इस नगर को बसाया था। आसपास तालाब भी बनवाये थे जिसमें आज भी 12 महीने पानी बना रहता है। तालाब का गहरीकरण हो जाए तो आसपास क्षेत्र में भूजल की स्थिति का नियंत्रित किया जा सकता है। यहां बाजार के लिए स्थान भी दिया गया था। आज भी बाजार में आसपास गांव के लोग खरीदी करने आते हैं। गगन चौरसिया ने बताया आज भी शहर की तरह यहां सुविधाएं है। यहां सुरपन व बंजर नदी का संगम है बाढ़ व अन्य सुरक्षा की दृष्टि से बस्ती को ऊंचाई में बसाया गया है। यहां पशु मेला की शुरूआत भी राजा हृदय शाह के समय की गई थी। जो अब भी जारी है। बताया गया कि पहले यहां एक जतरा रूका था। तब से पशुमेला को जतरा का मेला कहा था समय के साथ अब हिरदेनगर मचलेश्वर पशु मेला के नाम से महाशिवरात्री से होलीकादहन तक मेला लगाया जाता है।


इनका कहना
यहां हृदयशाह राजा ने पान की खेती के लिए बस्ती बसवाई थी। उन्हीं के समय के तालाब भी यहां है। जिन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए। पान की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अब नाम मात्र की खेती रह गई है।
जयराम चौरसिया, स्थानीय निवासी

नगर को राजा ने व्यवस्थित तरीके से बसाया है। बस स्टैंड व नगर के बाहर से अतिरिक्त मार्ग भी दिया गया है। यहां का पशुमेला प्रदेश में प्रसित्र है। इस साल कोरोना काल के चलते मेला नहीं लग सका था।
गगन चौरसिया

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