महज 918 बच्चों को मिला निजी स्कूल में प्रवेश

कोरोना काल में आरटीई के तहत प्रवेश दिलाने अभिभावकों ने नहीं दिखाई रुचि

मंडला. कोरोना काल का असर इस बार शिक्षा का अधिकार कानून में भी देखने को मिल रहा है। कोरोना के डर से अभिभावक अभी भी स्कूलों में अपने बच्चों को प्रवेश नहीं दिलाना चाह रहे हैं। अभिभावकों को यह भी लग रहा है कि कोरोना के कारण इस वर्ष भी 3 से 5 साल के बच्चों की पढ़ाई स्कूल में नहीं हो सकेगी। जिसके कारण ज्यादातर अभिभावक इस बार भी बच्चों को स्कूल में प्रवेश नहीं दिला रहे हैं। यहां तक की अभिभावकों ने निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा के लिए भी बच्चों को प्रवेश दिलाना उचित नहीं समझा। यही कारण है कि जिले के 189 निजी स्कूलों में इस बार महज 918 बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश मिला है। जबकि 2019 में आरटीई के तहत लगभग 21 सौ बच्चों को प्रवेश मिला था।


शिक्षा का अधिकार के तहत नए सत्र 2021-22 के लिए निजी स्कूलों में पहली कक्षा से निशुल्क प्रवेश की प्रक्रिया 28 जुलाई को पूरी हो गई है। 2020 में कोरोना काल के चलते शैक्षणिक कामकाज ठप्प रहा था। जिसके कारण पिछले साल प्रवेश नहीं दिया गया। कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद शासन के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने आगामी सत्र को लेकर शिक्षा का अधिकार आरटीई की प्रक्रिया शुरू की। जिले में लगभग 189 निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों में जरूरतमंद बच्चों को निशुल्क प्रवेश दिया जाना था। जिसके लिए 985 बच्चों को स्कूल का आवंटन हुआ। इसमें पात्रतानुसार निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश के लिए आवेदकों का चयन, ऑनलाइन लॉटरी के माध्यम से 918 बच्चों ने प्रवेश लिया। 67 बच्चों के आवेदन त्रुटि होने के कारण निरस्त कर दिए गए हैं। नर्सरी, केजी और केजी 2 कक्षाओं में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 3 से 5 वर्ष और कक्षा एक में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु 5 वर्ष से अधिकतम 7 वर्ष तक निर्धारित की गई थी।

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