जिले के अधिकतर पुल पुलिया बाढ़ की आगोश में
मंडला. जिले में बारिश का दौर जोरों पर है। लगातार हो रही बारिश से न केवल नर्मदा का जलस्तर बढ़ गया है बल्कि जिले के अधिकतर पुल पुलिया भी जंगली नालों की आगोश में समा रहे हैं। पिछले पांच दिनों से हो रही बारिश के कारण नर्मदा का जलस्तर भी बढ़ रहा है। दो दिन पूर्व की तेज बारिश के कारण नगर के छोटे रपटा पुल को नर्मदा ने अपनी आगोश में ले लिया। पिछले कुछ दिनों में जिले में अब तक हुई औसत बारिश का रिकार्ड क्रमश: 450.6, 452.9, 466.9 मिमी दर्ज किया गया। बारिश मे आई तेजी का अंदाजा भू अभिलेख के इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि जहां एक सप्ताह पहले तक तुलनात्मक रिकार्ड में बारिश के आंकड़े वर्ष 2020 की अपेक्षा बहुत कम दर्ज किए जा रहे थे वहीं पिछले तीन दिनो से बारिश का आंकड़ा गत वर्ष के रिकार्ड को काफी पीछे छोड़ गया है। 27 जुलाई तक जिले भर में इस सीजन में कुल औसत बारिश 466.9 मिमी दर्ज की गई जबकि वर्ष 2020 के 27 जुलाई तक जिले में यह आंकड़ा 438.0 मिमी दर्ज किया गया था। लगातार हुई तेज बारिश के कारण ही नर्मदा के जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है।
शनिवार की सुबह सर्वाधिक जलस्तर
पिछले पांच दिनों के दौरान हुई बारिश का नतीजा यह रहा कि शनिवार को नर्मदा का जलस्तर 436.440 मीटर तक जा पहुंचा और नर्मदा पर बना छोटा रपटा पुल उसके आगोश में समा गया। सोमवार को नर्मदा का जलस्तर 435.110 मीटर और मंगलवार को यह जलस्तर 434.450 मीटर दर्ज किया गया। चूंकि आसपास के जिलों में भारी बारिश का असर यहां नर्मदा के जलस्तर पर पड़ता है। बम्हनी, मवई, डिंडोरी में तेज बारिश होने पर यहां नर्मदा का जलस्तर बढ़ता है।
आवागमन बाधित
पिछले पांच दिनों की तेज और अनवरत बारिश के चलते ग्रामों को मुख्य सड़क से जोडऩे वाले कई मार्ग में आवागमन प्रभावित हो चुके हैं। अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के मार्गो में कम ऊंचाई में पुल पुलियों का निर्माण हुआ है। बारिश के दौरान नैनपुर में थांवर नदी, भुआबिछिया में मटियारी नदी, बम्हनी में बंजर नदी के जलस्तर का बढऩा घटना जारी है। बारिश के दौरान पुल-पुलियों का डूबना और उतरना बना हुआ है। इस बीच ग्रामीणों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे पुल, पुलिया डूबने से जिले के दर्जनों गांवों में आवागमन प्रभावित हो जाता है। इसमें सर्वाधिक परेशानी मंडला से डिंडोरी मार्ग पर पडऩे वाले इलाके जैसे लिंगा, पोड़ी, चाबी, मोहगांव आदि शामिल हैं क्योंकि इसी रूट पर सबसे अधिक निचली पुलियाएं निर्मित हैं।