मिर्च-टमाटर-ककड़ी उगाकर कमा रहे लाखों

बहुउद्देश्यीय खेती अपनाई तो बदल गई किस्मत सूरज की

<p>Millions are earning by growing Chilli-Tomato-Cucumber</p>

मंडला. एक समय था साहब, जब दाने दाने को मोहताज थे, 18-18 घंटे की कमरतोड़ मेहनत करके भी जो खेती करते थे उसमें से औसतन 2 हजार रुपए मासिक की आमदनी भी बड़ी मुश्किल से हो पाती थी। अब दो हजार रुपए में बच्चों को खिलाएं-पिलाएं या अच्छा पढ़ाएं। इसकारण हमेशा मानसिक तनाव बना रहता था। मैं परंपरागत तरीके से धान, गेहूं, अरहर एवं कोदो-कुटकी की खेती कर रहा था। आर्थिक संकट से जूझते हुए क्षेत्र के अन्य किसानों की प्रगति देखकर कई तरह के प्रश्न मन में उठते थे। एक बार बड़ी हिम्मत करके मैंने अपने क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों से चर्चा की। उनकी सलाह पर उद्यानिकी विभाग से संपर्क किया एवं वैज्ञानिक खेती की प्रक्रिया को समझा। बस उसी दिन से मेरी किस्मत मानो मुझ पर मेहरबान हो गई। ये कहना है विकासखण्ड मोहगांव के अंतर्गत ग्राम अमझर के 32 वर्षीय सूरज धुर्वे का। जिनकी गिनती अब अपने क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों में होने लगी है।
सूरज बताते हैं कि उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की सलाह पर मैने परंपरागत खेती नहीं छोड़ी, बल्कि उस खेती को वैज्ञानिक तरीके से करना शुरू कर दिया। वैज्ञानिक खेती के तहत मैंने अपने पुराने 0.80 हेक्टेयर के रकबे में ही धान, गेहूं, अरहर के अलावा भी मिर्च, टमाटर एवं ककड़ी की खेती शुरू किया। ड्रिप एवं मल्चिंग तकनीक के द्वारा मेरा मुनाफा पहले की तुलना में काफी ज्यादा हुआ। अब मैं सालाना 2 से सवा 2 लाख रूपए तक का मुनाफा कमा रहा हूँ। उद्यानिकी विभाग के चंद्रगुप्त नामदेव का कहना है कि सूरज अपने कुल रकबे में से 0.20 हे. में लगभग् 2 टन टमाटर का उत्पादन कर रहे हैं तथा लगभग् 30 हजार रूपए की कमाई कर रहे हैं। इसी प्रकार 0.40 हेक्टेयर में लगभग 6.25 टन मिर्च का उत्पादन कर रहे हैं और इससे लगभग 1 लाख 56 हजार रूपए की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। 0.20 हेक्टेयर में लगभग 3 टन ककड़ी का उत्पादन कर लगभग 33 हजार रूपए की आमदनी ले रहे हैं। प्रगतिशील किसान बने सूरज अब अपने आसपास के किसानों को भी वैज्ञानिक खेती की सलाह दे रहे हैं तथा उद्यानिकी विभाग की मदद से खेती के नवीन तरीकों को सीखते हुए अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।

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