दाने-दाने को मोहताज मजदूर वर्ग
मंडला. अब क्या काम करें साब, काम नहीं मिल रहा, मजूरी नहीं मिल रही। रोज कमाकर ले जातेे हैं तब कहीं घर का चूल्हा जलता है। इसीलिए कचरे में दाना ढूंढ रहे हैं। ये कहना है दिहाड़ी मजदूरों का, जिन पर लॉकडाउन का प्रतिबंध भारी पड़ रहा है। दरअसल दिहाड़ी मजदूर वर्ग को काम मिलना बंद हो गया है और उसके एवज में मिलने वाली मजदूरी भी बंद हो गई है और उनके घर के चूल्हे बुझने लगे हैं। 8 अप्रैल की शाम से जिले में लॉकडाउन लागू किया गया। यह लॉकडाउन पहले 12 अप्रैल की सुबह तक था, जिसे बढ़ाकर पहले 14 अप्रैल और अब 23 अप्रैल की सुबह 6 बजे तक बढ़ाया गया है। 9 से 15 अपे्रल, पिछले एक सप्ताह से लॉकडाउन होने के कारण दिहाड़ी काम बंद हो चुके हैं। यही कारण है कि अब मजदूर वर्ग दाने दाने को मोहताज हो रहा है।
उपार्जन केंद्र को बनाया ठीहा
नगर के दिहाड़ी मजदूरों ने उपार्जन केंद्र को अपना ठीहा बना लिया हैै। यहां गेहूं की लोङ्क्षडग-अनलोडिंग के दौरान जो दाने झरकर नीचे गिरते हैं। उसे झाड़़ू इत्यादी से इक_ा करके उसी को कूट कूटकर महिला मजदूर दाना निकाल रही हैं। खैरी गांव की निवासी सकुंतला, सुशीला बाई ने बताया कि अभी तो उपार्जन केंद्र में भी काम नहीं मिल रहा। एक कट्टी अनाज की सफाई के एवज में रुपए नहीं मिलते बल्कि किसान थोड़ा बहुत अनाज दे देते हैं। उससे काम नहीं चलता। इसलिए नीचे पड़े दाने इक_ा कर रहे हैं।
उपार्जन केंद्र में सफाई बंद
उपार्जन केंद्रों मे अनाज की सफाई कराना किसानों ने बंद कर दिया है क्योंकि उन्हें जगह उपलब्ध नहीं। एक वर्ष पहले तक नगरीय क्षेत्र के उपार्जन केंद्र कृषि उपज मंडी में खोले जाते थे। वहां विशाल परिसर होने के कारण किसान अपने अनाज की सफाई वहीं कराते थे। पिछले वर्ष से उपार्जन केंद्र खैरी पंचायत की पहाड़ी के नीचे स्थानांतरित कर दिए गए हंै। यहां सफाई के लिए किसानों को जगह उपलब्ध नहीं होती। इसलिए वे अपने खेत खलिहान से ही अनाज की सफाई करवाकर उपार्जन केंद्र पहुंच रहे हैं। यही कारण है कि केंद्रों में मिलने वाला काम अब दिहाड़ी मजदूरों को उपलब्ध नहीं।