नक्खी माता मंदिर में 339 कलश की स्थापना

विसर्जन में नहीं निकलेगी शोभायात्रा, समिति सदस्य ही करेंगे विसर्जन

<p>नक्खी माता मंदिर में 339 कलश की स्थापना</p>

मंडला. जिला मुख्यालय से 20 किमी की दूरी पर मंडला निवास मार्ग में बसे ग्राम बकौरी में 17 वीं शताब्दी में एक पहाड़ी के ऊपर नक्खी माता मंदिर आस्था का केन्द्र है। माता के भक्त नितिन साहू ने बताया कि जब गांव में संकट आया तो माता ने भी गांव वालों को सावधान किया था। मंदिर की ख्याति दूर दूर तक फैली है। जब से गांव में माता विराजमान है कभी भी गांव के ऊपर संकट के बादल नहीं छाए है। माता की पाषाण प्रतिमा जिसे देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते है। श्रृद्धालुओं के मंदिर प्रांगण में पहुंचते ही उन्हें मानसिक सुख का अनुभव होता है और श्रृद्धालु इसी विश्वास से माता से मन्नत मांगते है। जिनकी मन्नत पूरी होती है। बताया गया कि सैकड़ों वर्ष पुराने, जीर्ण-शीर्ण मंदिर का जीर्णोद्धार 1997 में किया गया। मंदिर का गुंबज चौपहला बनाया गया है। यहां मंदिर परिसर का विस्तार किया गया है। माता के दरबार के आसपास अन्य देवी देवाताओं की भी स्थापना की गई है। नक्खी माता के पास शीतला माई, खैरमाई, कालभैरव का भी स्थान है। मंदिर की विशेषता यह है कि पहाड़ी में होने के बाद यहां श्रृद्धालु अपने वाहन से मंदिर तक पहुंच जाते है।
हालांकि कोरोना महामारी के चलते कोई भी आयोजन नहीं किए गए। यहां समिति के सदस्य और पुजारी द्वारा ही पूजा अर्चना की जा रही है। इस वर्ष कोरोना वायरस संक्रमण के चलते मंदिरों और पंडालों में जवारे नहीं बोये गए है। जवारें के स्थान पर माता के दरबार में कलश की स्थापना की गई है। दरबार में इस बार 339 कलश, 38 टोकनी और 18 खप्पर रखे गए। विसर्जन पर शोभायात्रा भी नहीं निकाली जाएगी।
समिति के सदस्यों द्वारा प्रशासन के सभी नियमों का पालन कराया जा रहा है। मंदिर में पूजा अर्चना पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा है। श्रद्धालुओं को घर में ही नवमीं पूजन के लिए कहा गया है। मंदिर परिसर में लगे लाउडस्पीकर के माध्यम से कोरोना से बचने के उपाए ग्रामीणों को प्रतिदिन बताए जा रहे है।

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