कान्हा, सरही में पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध

एक अक्टूबर से करना होगा पालन

<p>कान्हा, सरही में पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध</p>

मंडला. कान्हा नेशनल पार्क के जंगलो की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन ने पहल की है। जिससे स्थानीय लोंगो को रोजगार भी मिल सकेगा। वन्य प्राणी व जंगल भी सुरक्षित रहेंगे। जानकारी के अनुसार कलेक्टर हर्षिका सिंह ने कान्हा को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए आगामी एक अक्टूबर से कान्हा एवं सरही क्षेत्र में पॉलीथिन पर पूर्णत: प्रतिबंधित किया है। कलेक्टर ने कहा कि इन स्थानों पर पॉलीथिन के विकल्प उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने इनके स्थान पर दोना-पत्तल के उपयोग को भी प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। जिससे स्थानीय लोंगो को रोजगार भी मिल सकेगा। इसके लिए सरही गेट में छत्तीसगढ़ सीमा से संकेतक लगाए जाएंगे। मोड़ वाले स्थानों पर अनिवार्य रूप से संकेतक होंगे जिसमें वन्य प्राणियों की सुरक्षा के साथ पॉलीथीन के प्रतिबंध की जानकारी भी होगी।


पशुचिकित्सक नैनपुर डॉ निवेदिता कुशराम का कहना है कि पॉलीथिन पर्यावरण के साथ पशुओं के स्वास्थ्य लिहाज से भी हानि कारक है। भूलवश इसका सेवन करने से मवेशी की मौत तक हो सकती है। वहीं जमीन में भी इसका असर देखने को मिल रहा है। जिले की विश्व स्तर पर पहचान रखने वाले कान्हा नेशनल पार्क को पॉलीथीन के उपयोग से पूरी तरह मुक्त करना होगा।
पिकनिक स्पॉट में गंदगी
कान्हा व सर्री क्षेत्र में जंगल से लगे हुए पिकनिक स्पॉट भी है। जहां लोग परिवार मित्रों के साथ पहुंचते हैं। जहां पॉलीथीन का उपयोग भी बढ़ी मात्रा में किया जाता है। वहीं आसपास स्थित नदी नालों में भी पॉलीथीन का असर देखने को मिल रहा है। पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर कान्हा नेशनल पार्क की टीम के द्वारा सफाई अभियान चलाया गया था। जिसमें 250 किलो कचरा बंजर नदी के आसपास से निकाला गया था। जिसमें पॉलीथीन व डिस्पोजल की मात्रा अधिक थी। पॉलीथीन के उपयोग के प्रतिबंध के साथ कपड़े व कागजो के थैलों का उपयोग भी शुरू हो जाएगा। जिसका निर्माण स्थानीय स्तर पर किया जा सकता है। वहीं डिस्पोटल के स्थान पर दोना पत्तल का उपयोग वनांचल क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों को आय का जरिया उपलब्ध कराएगा।


वन्यप्राणी प्रेमियों ने बताया कि जिला कान्हा नेशनल पार्क से जुड़ा होने से अधिकतर वन्यप्राणियों की चहल कदमी यहां के जंगलों में बनी रहती है। जिसमें वन्यप्राणी बाघ, तेंदुआ, बायसन, हिरण, बारासिंगा, नीलगाय, भालू, कोटरी, सांभर समेत अन्य वन्यप्राणी शामिल है। इसी मकसद को गंभीरता से लेते हुए लोगों को चाहिए की जिले के जितने भी जंगल से लगे हुए पिकनिक स्पॉट है। ऐसी जगहों पर पॉलीथिन व डिस्पोजल सामग्री जो वनों व वन्यजीवों के लिए खतरनाक साबित होती है, उसको न फेंके। ऐसा करने वालों पर वन विभाग द्वारा सख्ती बरतते हुए कार्रवाई करने की जरूरत है।

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