माता-पिता ने मदद देना चाहा, इन्हें खुद बनानी थी पहचान

Motivational Story: माता-पिता की पहचान के दम पर सफलता पाने वाले चेहरे बहुत हैं, लेकिन ऐसे लोग कम होते हैं, जो जीवन में आगे बढऩे के लिए माता-पिता के नाम का उपयोग नहीं करते, खुद का वजूद बनाते हैं।

Motivational Story: माता-पिता की पहचान के दम पर सफलता पाने वाले चेहरे बहुत हैं, लेकिन ऐसे लोग कम होते हैं, जो जीवन में आगे बढऩे के लिए माता-पिता के नाम का उपयोग नहीं करते, खुद का वजूद बनाते हैं। इन्हीं में से एक हैं ग्वालियर की संचिता गुप्ता। वह पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता एवं बिजनेसमैन राजीव गुप्ता की बेटी हैं। वह इस समय तीन मल्टीनेशनल कंपनीज की डिजिटल मार्केटिंग का काम देख रही हैं। साथ ही फुटबॉल में पांच नेशनल खेल चुकी हैं। कई मेडल उनके पास हैं। वर्ष 2016 में वह सीनियर वुमन नेशनल फुटबॉल में सबसे युवा खिलाड़ी रहीं। उन्होंने मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। खेल और नौकरी के साथ वह आदिवासी बच्चों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए भी काम कर रही हैं।

मिले थे बिजनेस के कई अवसर
संचिता ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई के बाद पिता ने बिजनेस करने के अवसर दिए, लेकिन उन्हें अपना वजूद बनाना था। इसलिए डिजिटल मार्केटिंग में कदम रखा। कम समय में इनकी उपलब्धि को देख अन्य कंपनियां भी संपर्क कर रही हैं।

हर काम खुद किया हैंडल
संचिता की मां समीक्षा बताती हैं कि बेटी ने कभी हमसे मदद नहीं मांगी। हर छोटे से बड़ा काम खुद ही हैंडल किया। पिता राजीव गुप्ता ने कहा कि बेटी ने हमारी पहचान का फायदा नहीं लिया। वह अपनी मेहनत से आगे बढ़ रही है।

आदिवासी बच्चों कर रहीं शिक्षित
संचिता फ्रेंड ऑफ ट्राइबल सोसायटी एंड एकल युवा के ग्वालियर यूथ विंग की चेयरपर्सन हैं। वह गांव एवं शहर के स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों को एजुकेशन, हेल्थ केयर, राइट्स के बारे में बताती हैं। वह जरूरतमंदों के लिए फंड रेज भी कर चुकी हैं।

पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता और बिजनेसमैन राजीव गुप्ता की बेटी हैं संचिता

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