एक कप चाय नहीं मिली तो चाय का बिजनेस ही खड़ा कर दिया, कमाने लगे लाखों

एक रात डिनर के बाद वह एक कप अच्छी चाय पीने की इच्छा से निकले, लेकिन ऐसी कोई जगह नहीं ढूंढ पाए, जहां मनपसंद चाय मिल सके। तब उन्होंने सोचा कि ऐसा कोई स्टार्टअप शुरू किया जाए, जो लोगों के लिए अच्छी चाय का अड्डा हो।

एक अच्छा आइडिया और उसका सही तरीके से एग्जीक्यूशन किसी भी बिजनेस को परवान चढ़ा सकता है। चायोस के फाउंडर नितिन सलूजा के जेहन में भी ऐसा ही छोटा सा आइडिया आया, जिसे उन्होंने एक स्टार्टअप का रूप दे दिया। चाय यूं तो अधिकतर भारतीयों के जीवन का हिस्सा है। सुबह की शुरुआत एक कप चाय से होती है।
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मां ने सिखाया था चाय बनाना
इसी चाय की चुस्की को नितिन ने अपने साथी राघव वर्मा के साथ मिलकर एक बिजनेस आइडिया में तब्दील कर दिया और एक पहचान बना ली। आईआईटी बॉम्बे से इंजीनियरिंग करने के बाद नितिन ओपेरा सॉल्यूशंस में जॉब करने लगे। वह अच्छी चाय पीने के शौकीन थे। नितिन जब छोटे थे तो उनकी मां ने उन्हें चाय बनाना सिखाया था।
चाय पीने को नहीं मिली तब आया स्टार्टअप शुरु करने का विचार
अमरीका में रहने के दौरान एक रात डिनर के बाद वह एक कप अच्छी चाय पीने की इच्छा से निकले, लेकिन ऐसी कोई जगह नहीं ढूंढ पाए, जहां मनपसंद चाय मिल सके। तब उनके जेहन में विचार पनपा कि क्यों न भारत में ऐसा कोई स्टार्टअप शुरू किया जाए, जो लोगों के लिए अच्छी चाय का अड्डा हो और वे सुकून से चाय की चुस्की का आनंद ले सकें। इस बीच उनकी मुलाकात आईआईटी दिल्ली से स्नातक राघव वर्मा से हुई, जिसके साथ बाद में उन्होंने अपना आइडिया डिस्कस किया और दोनों ने इस पर काम करने का मन बनाया।
गुरुग्राम में खोला पहला आउटलेट
दोनों ने अपनी जॉब छोड़ी और 2012 में गुरुग्राम में अपने स्टार्टअप चायोस का पहला आउटलेट खोला। शुरुआत में उन्हें चुनौतियां फेस करने पड़ी। लोग हैरान थे कि आईआईटी ग्रेजुएट अच्छी खासी जॉब छोडक़र चाय बेचने लगा है। दोनों ने शुरुआत से ही चाय की क्वालिटी का पूरा ख्याल रखा व अलग-अलग फ्लेवर की चाय ग्राहकों को उपलब्ध कराने लगे। धीरे-धीरे उनका यह आउटलेट चल निकला, फिर उन्होंने दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, चंडीगढ़, मुंबई जैसे शहरों में भी अपने आउटलेट खोल दिए।
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