मैं बचपन से शर्मीला था। जब मैंने अपने दोस्तों को बताया कि मैं सिनेमा में जा रहा हूं तो उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि वहां व्यक्ति को बहिर्मुखी होना पड़ता है। वास्तव में उन्होंने एक बार मुझसे पूछा था कि क्या मैं एक बाल अभिनेता बनना चाहूंगा और मैंने कहा कि मैं अपना चेहरा कैमरे के सामने ठीक से ऊपर नहीं उठा सकूंगा। लेकिन मैंने अभिनय के क्षेत्र में आने के लिए कड़ी मेहनत की। अब सब कुछ बदल गया है।
धीरे-धीरे होता है सब
अगर आप कुछ करना ही चाहते हैं तो धीरे-धीरे स्थितियां अनुकूल होने लगती हैं। आपकी दिलचस्पी बढ़ती हैं। हर राह में कई कठिनाइयां आती हैं, पर यदि अपनी दिलचस्पी को खोते नहीं हैं तो एक दिन सफल होते हैं।
सपने ऊंचे होने चाहिए
मैं सपने देखता था, आज भी देखता हूं। मेरे कई सपने अब हकीकत बन गए हैं। जैसे अपने क्षेत्र में कामयाबी पाने का सपना, जो मैंने पा ली है और बहुत कुछ पाना बाकी है। मेरा कहना है कि सपने देखना कभी मत छोडि़ए, ये आपको हताशा से बचाते हैं।
सबको साथ लेकर चलना
मेरा मानना है कि सबको साथ लेकर चलने से आपको सफर की थकान नहीं होगी। अपने लोगों को बताइए कि आप कैसे और क्या पाने वाले हैं, उनसे जानिए कि उन्हें क्या चाहिए। फिर एक-दूसरे की मदद करते हुए आगे बढि़ए। सबको वह मिलना चाहिए, जो उसका हक है। तभी जीने का मजा है।