12वीं पास करने के बाद इंटरनेशनल बिजनेस में बनाए कॅरिअर, कमाएंगे लाखों-करोड़ों

इस फील्ड से जुड़े कोर्सेस 12वीं पास होने के बाद से ही किए जा सकते हैं।

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अर्थव्यवस्था को समझने और देशों से व्यापारिक सम्बंध जानने में रुचि है तो इंटरनेशनल बिजनेस में करियर बना सकते हैं। ग्लोबलाइजेशन के दौर में चीन, जापान समेत कई देश भारत के साथ व्यापारिक सम्बंध और धन सम्बंधी सहायता से जुड़े हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था की जानकारी रखने वालों मांग तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेशनल बिजनेस (आइबी) में कोर्स करने का लक्ष्य दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भरता और सम्बंधों की जानकारी देना है। इस क्षेत्र में बतौर मैनेजर नियुक्ति की जाती है।

क्या करता है इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजर
आइबी मैनेजर अपनी बिजनेस यूनिट के लिए अंतराराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक फायदा पहुंचाता है। मैनेजर इसके लिए स्ट्रेटेजिक बिजनेस प्लान बनाता है। इंटरनेशनल ट्रेड से सम्बंधित समस्या की पहचान करना और समाधान निकालने का काम भी इनके जिम्मे होता है। इसके अलावा मेजबान देश के बिजनेस टम्र्स को समझने में अपने क्लाइंट्स की सहायता करना और बिजनेस के कामकाज को सरल बनाना भी इनकी जिम्मेदारियों का हिस्सा होता है।

कोर्स के लिए योग्यता : इस फील्ड से जुड़े कोर्सेस 12वीं पास होने के बाद से ही किए जा सकते हैं। जैसे-
1. डिप्लोमा : इंटरनेशनल बिजनेस में डिप्लोमा आप 10वीं और 12वीं क्लास पास करने के बाद कर सकते हैं।
2. अंडरग्रेजुएट डिग्री: इस अंडरग्रेजुएट कोर्स की अवधि 3 वर्ष की है। इंटरनेशनल बिजनेस में अंडरग्रेजुएट कोर्स करने के लिए स्टूडेंट्स के पास 12वीं में कम से कम 50 फीसदी अंक जरूरी हैं।
3. पोस्टग्रेजुएट डिग्री: पोस्ट ग्रेजुएट लेवल पर इंटरनेशनल बिजनेस कोर्स को मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (आइबी में एमबीए) या मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस (एमआइबी) के नाम से जाना जाता है। कोर्स के लिए मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या कॉलेज से किसी भी विषय में कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री अनिवार्य है।
4. डॉक्टोरल डिग्री : आमतौर पर डॉक्टोरल प्रोग्राम की अवधि 3-4 वर्ष है। यह अवधि यूनिवर्सिटी गाइडलाइन्स पर भी निर्भर करती है। डॉक्टोरल डिग्री करने के लिए, स्टूडेंट के पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या कॉलेज से बिजनेस से संबद्ध किसी विषय में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री हो। इसके बाद इंटरनेशनल बिजनेस कोर्स में पीएचडी करवाने वाली किसी यूनिवर्सिटी या इंस्टिट्यूट द्वारा आयोजित एंट्रेंस एग्जाम देना होगा।

इन विषयों में कर सकते हैं स्पेशलाइजेशन
जानिए कुछ ऐसे विषय जो इंटरनेशनल बिजनेस ग्रेजुएट्स को पढ़ाए जाते हैं-

इंटरनेशनल सप्लाई चेन मैनेजमेंट
इस विषय को पढ़ाने का सबसे जरूरी कारण इंटरनेशनल मार्केट में फम्र्स के लिए इंटरनेशनल लॉजिस्टिक्स (आईएल) और सप्लाई चेन मैनेजमेंट (एससीएम) जैसे विषय और उनकी स्ट्रेटेजिक इम्पोर्टेंस समझाने के लिए जानकारी प्रदान करना है।

इंटरनेशनल मार्केटिंग
इस विषय का मकसद स्टूडेंट्स को उन मार्केटिंग प्रिंसिपल्स के बारे में समझ और जानकारी प्रदान करना है जो विदेशी कारोबारियों के बीच लागू किए जाते हैं। साथ ही इंटरनेशनल मार्केट्स में एडवरटाइजिंग और ब्रांडिंग जैसे इश्यूज शामिल किए जाते हैं।

फाइनेंशियल डेरीवेटिव्स और रिस्क मैनेजमेंट
फाइनेंशल पर्सपेक्टिव से, डेरीवेटिव्स की स्टडी करने के माध्यम से स्टूडेंट्स इंटरनेशनल मार्केट में जोखिम या रिस्क को मैनेज करने के काबिल बन जाते हैं।

यहां से कर सकते हैं कोर्स
आइआइएम (अहमदाबाद, बेंगलुरू, कोलकाता, लखनऊ, कोझीकोड), आइआइटी बॉम्बे, मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट, गुडगांव, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ फॉरेन ट्रेड, दिल्ली।

आइबी फील्ड के टॉप रिक्रूटर्स
विप्रो, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सेंचर, टीसीएस, केपीजीएम, अमेजन, एचएसबीसी, गोल्डमैन सैश्स, कॉग्निजेंट, कैपजेमिनी, डेलॉयट।

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