समय बचता है
कई शोध बताते हैं कि दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों में लोग साल भर दफ्तर आने-जाने में जितना समय खर्च करते हैं, वह उनके एक महीने के कामकाजी घंटे के बराबर है। ऐसे में उनकी प्रोडक्टिविटी कम हो जाती है। घर से काम करने पर यह समय बच जाता है और आपकी एनर्जी भी बनी रहती है। आप इस ऊर्जा को काम को बेहतर बनाने में कर सकते हैं।
मदद को कोई नहीं
कंपनी के लिहाज से देखें तो घर से काम करते समय आपको अपने काम को ज्यादा सुव्यवस्थित करना पड़ता है। यहां आपकी मदद करने के लिए कोई नहीं होता है। लेकिन दफ्तर जाने के लिए यदि कम लोग बाहर निकलेंगे तो सडक़ों से ट्रैफिक कम हो सकता है। हालांकि इस दौरान कई बातों को ध्यान रखना जरूरी होता है। वर्क फ्रॉम होम का अर्थ नहीं कि आप सारा समय काम करते रहें।
काम की प्राथमिकता रहे
कर्मचारी और कंपनियों दोनों को समझना चाहिए कि निजी जीवन के लिए समय निकालना जरूरी है। इसलिए कामकाज के समय को निर्धारित करें। साथ ही कर्मचारियों को काम के प्रति ईमानदार रहना चाहिए। वे ऑफिस की तरह घर में भी ब्रेक ले सकते हैं, पर काम की प्राथमिकता को कम नहीं कर सकते।
परिणाम केंद्रित बनें
घर पर काम करते हुए रिजल्ट ओरिएंटेड रहना पड़ेगा क्योंकि कंपनी आपके प्रयासों को नहीं, बल्कि सिर्फ परिणामों पर गौर करेगी। वर्क फ्रॉम होम करने के लिए आपके पास सही सेटअप होना भी जरूरी है।