फ्यूचर ट्रेंड्स के बारे में कंपनियों को सलाह देने वाले थॉमस फ्रे कहते हैं कि आने वाले समय में हर जॉब एक टेक्नोलॉजी जॉब होगी। यह इंसान और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की लड़ाई नहीं होगी, बल्कि मशीनों के साथ काम करने की कला होगी। भविष्य में ऑटोमेशन से कई जॉब्स खत्म हो जाएंगे, ऐसे में लोगों को कॅरियर में टिके रहने के लिए स्किल्स मजबूत करनी होंगी। अभी ब्लॉकचेन, क्रिप्टोकरेंसी, रोबोटिक्स और ऑटोनोमस व्हीकल्स उभरती हुई टेक्नोलॉजीज हैं। आने वाले समय में ये मुख्यधारा की तकनीक बन जाएंगी। भविष्य में उन लोगों की भी काफी जरूरत होगी, जो ऐप्स को डिजाइन कर सकें। डाटा का विश्लेषण और स्ट्रक्चर तैया करने वाले लोगों को भी काफी महत्व दिया जाएगा। कंपनियों को अपने डाटा का स्ट्रक्चर तैयार करने के लिए खास एनालिस्ट, डिजाइनर और इंजीनियर्स की जरूरत पड़ेगी। जानते हैं कि भविष्य में किस तरह की टेक्नोलॉजी जॉब्स होंगी-
सायबर सिक्योरिटी एक्सपट्र्स
भविष्य में दुनिया वर्तमान से ज्यादा कनेक्टेड होगी। पर्सनल डिवाइसेज, मशीन्स, अप्लायंस, ऑटोमोबाइल्स हर चीज इंटरनेट से जुड़ी होगी। इससे सायबर अपराधियों की आशंका बढ़ेगी। ऐसे में उनके लिए जॉब्स के मौके होंगे, जो संभावित खतरों का पता लगाकर उनका हल खोजने में एक्सपर्ट होंगे। इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड, वाटर सप्लाई सिस्टम, ट्रैफिक लाइट्स आपस में जुड़ी होंगी। किसी तकनीकी छेड़छाड़ से शहरी जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। देश में हजारों सिक्योरिटी एक्सपट्र्स की जरूरत होगी। वे ऐसे सिस्टम्स विकसित करेंगे, जो खतरों को मॉनीटर करेंगे और अटैक्स को रोकेंगे। अभी सायबर अटैक कम्प्यूटर्स और वेबसाइट्स पर ही हो रहे हैं, भविष्य में कनेक्टेड डिवाइसेज खतरे में पड़ सकते हैं।
स्पेस टेक जॉब्स
भारत का स्पेस प्रोग्राम प्राइवेट सेक्टर की ओर देख रहा है। भारत चाहता है कि इसके स्पेस पोट्र्स से रॉकेट लॉन्च करने और सैटेलाइट बनाने के लिए प्राइवेट सेक्टर आगे आए। इसरो अगले दो सालों में अपनी पहली ह्यूमन स्पेस फ्लाइट की भी योजना बना रहा है। कम्यूनिकेशन व रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट्स बनाने और लॉन्च करने के लिए भारत प्राइवेट सेक्टर पर निर्भर होगा। भारत छोटे सैटेलाइट्स के निर्माण का हब बनना चाहता है और उन्हें देश की जमीन से लॉन्च करना चाहता है। एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने लोगों का स्पेस के बारे में सोचने का नजरिया बदला है। स्पेस टूरिज्म टेक एक्सपट्र्स की एक इंडस्ट्री तैयार करेगा। मिशन प्लानिंग, लॉन्च मैनेजमेंट व एक्सपीरियंस डिजाइन के लिए टेक्नोलॉजी एक्सपट्र्स की जरूरत पड़ेगी।
डेटा ड्राइवर्स
आने वाले समय में सॉल्यूशन आधारित आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स सामान्य बात हो जाएगी। ढेर सारे ऐसे लोगों की जरूरत पड़ेगी जो एआइ से जनरेट होने वाले डेटा को मैनेज कर सकें। जैसे-जैसे ह्यूमन मशीन इंटरफेस और एआइ का अनुप्रयोग बढ़ेगा, वैसे-वैसे डेटा टैगिंग, क्लीनिंग, लेबलिंग पर काम करने वाले लोगों की डिमांड बढ़ेगी। डेटा को एनालिसिस करने वाले डिजाइनिंग सिस्टम्स की जरूरत भी होगी। वर्ष 2030 तक 500 अरब डिवाइस इंटरनेट से कनेक्ट हो जाएंगे। इनसे मिलने वाले डेटा को विश्लेषण करके बिजनेस से जुड़े निर्णय लेने के लिए डेटा साइंटिस्ट्स की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए सेंसर्स डिजाइन करने वाले लोगों की डिमांड भी होगी।
हर जगह टेक्नोलॉजी होगी
भविष्य में भी वकील और चिकित्सक होंगे, पर ये जॉब्स टेक जॉब्स के साथ मर्ज हो जाएंगी। एचआर जैसे रोल्स जो वर्तमान में नॉन-टेक्नीकल हैं, वे भी टेक जॉब्स में कन्वर्ट हो जाएंगे। ऑफिस में रोबोटिक्स प्रोसेस, ऑटोमेशन व बोट्स नजर आने लगेंगे। आपके पास हर तरह के स्पेशलाइज प्रोडक्ट होंगे। अभी आप साधारण जूते खरीदते हैं, भविष्य में आपके पास स्मार्ट गोल्फ शूज और इन्जरी मैनेज करने वाले शूज भी होंगे। हर इंडस्ट्री में स्पेसिफिक टेक्नोलॉजी के एक्सपट्र्स मौजूद होंगे। अभी हमारी यूनिवर्सिटीज में निश्चित स्किल्स ही सिखाई जाती हैं, जिनमें कुछ बेसिक टेक स्किल्स होती हैं। इस ट्रेंड को बदलना पड़ेगा, तभी भविष्य की जॉब्स के लिए युवा तैयार हो पाएंगे।