अखिलेश को बड़ा झटका, मुलायम का करीबी यह दिग्गज नेता शिवपाल की पार्टी में हुआ शामिल

शिवपाल की पार्टी में शामिल होकर मुलायम के इस करीबी नेता ने दी सपा और बसपा को बड़ी चुनौती

<p>शिवपाल यादव और अखिलेश यादव</p>
यशोदा श्रीवास्तव
महराजगंज. चुनावबाजों के लिए कोई न कोई अवसर हाथ आ ही जाता हैं। ऐसे लोग समाजवादी सेक्युलर मोर्चा को ऐसे ही अवसर की दृष्टि से देख रहे हैं। कभी सपा के कद्दावर नेता रहे शिवपाल सिंह यादव ने अंततः समाजवादी सेक्युलर मोर्चा की गठन कर समाजवादी पार्टी को चुनौती देने की अपनी मंशा का इजहार कर दिया है। यह मोर्चा लोकसभा के सभी 80 सीटों पर दांव आजमाने की घोषणा भी की है। भाजपा के विजय सिंह कहते हैं कि शिवपाल का यह मोर्चा चुनाव में किसको फायदा पंहुचाएगा और किसको नुकशान यह तो बाद की बात है लेकिन अपने अपने दलों से टिकट से महरूम चुनावबाजों के लिए यह जरूर एक मंच साबित होगा।

बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए यूपी में सपा और बसपा के साथ कुछ अन्य छोटे दलों का एक गठबंधन बन रहा है। बसपा प्रमुख मायावती के एक बयान से कयास लगाया जा रहा है कि इस गठबंधन में कांगे्रस शायद न शामिल हो। अब सपा बसपा के गठबंधन की दशा में दोनों दलों के कई नेताओं का टिकट कटना तय है। इसमें कई ऐसे चेहरे हो सकते हैं जो हर हाल में चुनाव लड़ना चाहेंगे , किसी भी दल से। चुनाव में भगदड़ की भी एक परंपरा रही है। सभी दलों से लोगों का दूसरे दलों में आना जाना नई बात नही है। अंदरखाने खबर है कि शिवपाल के मार्चा बनाने के बाद सपा के कई कद्दावर नेता चुपचाप उन्हें बधाई देने में लगे हुए हैं। जो लोग सीधे शिवपाल से नहीं मिल पा रहे हैं वे उनके करीबी समाजवादी ंिचतक दीपक मिश्र के जरिए बधाई बोल रहे हैं। पूर्वांचल के भी कई समाजवादी चेहरे इसमें शामिल हैं। शिवपाल के मोर्चा के गठन होते ही सिद्धार्थनगर के कद्दावर सपा नेता तथा मुलायम के बेहद करीबी मलिक कमाल यूसूफ ने शिवपाल का दामन थाम लिया। सपा से नाराज जिले के ये कद्दावर नेता अभी बसपा में थे। जिले के सपा के एक नेता कहते हैं कि कमाल यूसूफ के शिवपाल के साथ आने से डुमरियागंज संसदीय सीट पर सपा का गड़ित गड़बड़ा गया है। यहां से बसपा सपा के समझौते में पूर्व स्पीकर माता प्रसाद पंाडेय के सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की चर्चा है। जाहिर है समझौते में इस सीट के सपा के खाते में जाने की उम्मीद से कमाल यूसूफ के बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की दावेदारी पर ग्रहण लगा था। वैसे भी इस सीट से सपा यदि नहीं लड़ती तो बसपा ने एक आयातति नेता को मैदान में उतार दिया है। ऐसे में कमाल यूसूफ को कहीं न कहीं ठौर की तलाश करनी ही थी।
अब महराजगंज संसदीय सीट की बात करें तो यहां की भी स्थित वैसी ही है। डुमरियागंज सीट पर सपा यदि गठबंधन से दावेदार होती है तो यहां बसपा का लड़ना पक्का है। अब जो महाशय अभी तक सपा का झंडा डंडा ढो रहे हैं वे टिकट न मिलने की दशा में चुपचाप घर बैठने वाले तो हैं नहीं। ऐसे में वे भी शिवपाल के मोर्चे में अपना भविष्य देख रहे है। सपा बसपा से ही टिकट से वंचित लोग ही नहीं कांगे्रस से भी टिकट के दावेदार निराश हुए तो उनका भी ठिकाना शिवपाल का मोर्चा होगा। सपा से अलग होकर शिवपाल का मोर्चा बनाए जाने से अधिकांश सपाई भी खुश हैं। हालाकि वे अभी मुंह खोलने से बच रहे हैं लेकिन मान रहे हैं कि सपा में शिवपाल की उपेक्षा खूब हुई जो गलत था। शिवपाल के मोर्चे के गठन से पूर्वांचल के जिलों में सपा के एक खेमे में उत्साह है। उन्हें मौके की तलाश है। जब भी पूर्वांचल के जिलों में शिवपाल अपने मोर्चे के बैनर तले कोई कायक्रम करेंगे तो उस वक्त का नजारा देखने लायक होगा। खबर है कि बस्ती जिले के एक पूर्व मंत्री भी शिवपाल खेमें में जाने का मन बना चुके हैं। बस्ती में शिवपाल के एक बड़े कार्यक्रम की तैयारी की चर्चा है।

राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि मुलायम के बाद शिवपाल ही सपा में सर्वमान्य नेता थे। यूपी के हर जिले में कार्यकर्ताओं की उनकी एक फौज है। यह फौज चुनाव में कुछ न कुछ गुल खिलाने की हैसियत में है। पश्चिमी यूपी के चार पांच जिलों में मुलायम अखिलेश से कम प्रभावशाली नहीं हैं शिवपाल। बसपा के एक नेता का कहना है कि शिवपाल के अलग मोर्चा बना लेने से बसपा भी सकते में हैं कि कहीं सपा के साथ गठबंधन से उसे लेने के देने न पड़ जाय।
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